– वन प्रमंडल पदाधिकारी श्वेता कुमारी ने 71 सॉफ्ट सेल कछुआ को उनके प्राकृतिक आवास गंगा नदी में छोड़ा
वरीय संवाददाता, भागलपुर
विश्व कछुआ दिवस के अवसर पर भागलपुर की डीएफओ श्वेता कुमारी ने 71 सॉफ्ट सेल कछुआ को उनके प्राकृतिक आवास गंगा नदी में छोड़ा. पदाधिकारी ने कहा कि कछुआ धरती के सबसे पुराने जीवों में से एक हैं, जो करीब 22 करोड़ साल से अस्तित्व में हैं. प्रकृति के इस अद्भुत प्राणी को संरक्षित करना सिर्फ सरकार या संस्थान की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हम सभी का दायित्व है. कुछ कछुए 100 साल से ज्यादा जीते हैं. दुनिया का सबसे लंबी उम्र वाला कछुआ 190 साल का था. विश्व कछुआ दिवस की शुरुआत सन 2000 में अमेरिकी संस्था एटीआर ने की थी. तभी से 23 मई को यह दिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाने लगा. इस दिवस को मनाने का उद्देश्य है लोगों को कछुओं के प्राकृतिक आवासों की रक्षा करना. दुनिया भर में कछुओं की करीब 360 से अधिक प्रजातियां पायी जाती हैं, जिनमें से कई विलुप्त होने के कगार पर हैं. इस अवसर पर पशु चिकित्सा पदाधिकारी संजीत कुमार, वनों के क्षेत्र पदाधिकारी रूपम कुमार सिंह, वनपाल दिनेश कुमार सिंह, वनरक्षी अमरेश कुमार, रूपेश कुमार सिंह, कमलेश कमल, मो मुमताज, मो अख्तर आलम, डॉल्फ़िन मित्र योगेंद्र महलदार, महेंद्र, संतोष, नागो, अर्जुन, विष्णु, गोरे, राजेंद्र एवं अन्य मौजूद थे.
पानी में कछुए की गति कितनी
पानी में कछुए की अधिकतम गति 300 मीटर/घंटा है. कुछ कछुए चिल्लाते भी हैं. कछुओं का ऊपरी भाग (कवर) उनकी हड्डियों का हिस्सा होता है और वे उसे छोड़ नहीं सकते. कछुए की कुछ प्रजातियां पानी के अंदर छह घंटे तक सांस रोके रह सकती हैं. कछुए शाकाहारी, मांसाहारी व सर्वाहारी भी हो सकते हैं. यह उनकी प्रजाति पर निर्भर करता है. समुद्री कछुए 10 हजार किलोमीटर तक की यात्रा कर सकते हैं. खासकर प्रजनन के मौसम में कुछ कछुए अपने पीछे के पैरों से मिट्टी खोदकर अंडे देती हैं.पानी में कछुए की अधिकतम गति 300 मीटर/घंटा है. कुछ कछुए चिल्लाते भी हैं. कछुओं का ऊपरी भाग (कवर) उनकी हड्डियों का हिस्सा होता है और वे उसे छोड़ नहीं सकते. कछुए की कुछ प्रजातियां पानी के अंदर छह घंटे तक सांस रोके रह सकती हैं. कछुए शाकाहारी, मांसाहारी व सर्वाहारी भी हो सकते हैं. यह उनकी प्रजाति पर निर्भर करता है. समुद्री कछुए 10 हजार किलोमीटर तक की यात्रा कर सकते हैं. खासकर प्रजनन के मौसम में कुछ कछुए अपने पीछे के पैरों से मिट्टी खोदकर अंडे देती हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है