प्रभात खबर लीगल काउंसलिंग में मौजूद वरीय अधिवक्ता सह एलएडीसी चीफ संजय सिन्हा जमीन विवाद समेत अन्य मामलों पर पाठकों को दी सलाहसंवाददाता, भागलपुरप्रभात खबर की ओर से लीगल काउंसलिंग मुहिम के तहत रविवार को पाठकों को नि:शुल्क कानूनी सलाह मुहैया कराने का सिलसिला जारी है. इस रविवार को वरीय अधिवक्ता सह लीगल एड डिफेंस काउंसिल (एलएडीसी) के चीफ संजय सिन्हा ने सलाह दी. उन्होंने भूमि विवाद, आपराधिक मामले समेत पाठकों द्वारा पूछे गये सवालों का जवाब दिया. अविनाश कुमार राय, नरकटिया, बिहपुर, नवगछिया.
प्रश्न :
दादा तीन भाई थे, तीन के 13 वंशज हुए. अब तक जमीन का बंटवारा नहीं हो पाया है. पहले जमीन जो खरीदा गया वो पूर्व में हुए सर्वे के दौरान बिना बंटवारा के ही किसी के भी नाम से जमीन को चढ़वा दिया गया. इसके बाद कुछ जमीन खरीद की गयी, जिसका भुगतान मेरे पिताजी ने किया. इधर, चाचा ने अपने, पत्नी और अपने बच्चों के नाम से जमीन करवा लिया. 20-25 साल से बंटवारा का प्रयास किया जा रहा है तो आपस में मिलकर नहीं हो पा रहा है. क्या किया जाये?उत्तर :
टाइटिल सूट के तहत बंटवारा के लिए आवेदन कर सकते हैं. सर्वप्रथम अगर बंटवारे के बिना कोई भी गोतिया जमीन बेचने का प्रयास करता है तो उसके लिए कोर्ट में इंजेक्शन को लेकर अपील कर सकते हैं. यह आपके लिए सबसे उचित है.पंकज राय, रन्नुचक, नाथनगर.
प्रश्न :
मेरे गांव के रहने वाले दो लड़के ट्रेन से आ रहे थे. लखीसराय रेलवे स्टेशन पर 8-10 लड़कों ने उसे उतार लिया और बेरहमी से मारपीट कर मोबाइल और पैसा छीन लिया. घटना के बाद दोनों लड़के किसी तरह अपने घर आ गये. अब क्या किया जाये?उत्तर :
सबसे पहले तो लखीसराय जीआरपी में संपर्क कर वहां एफआइआर दर्ज करा सकते हैं. वहां अगर एफआइआर नहीं लिया जाता है तो भागलपुर में आइजी, एसएसपी को आवेदन दे सकते हैं. या फिर व्हाट्स एप या ईमेल पर बिहार डीजीपी को आवेदन दे सकते हैं. अभी नये कानून के तहत जीरो एफआइआर का प्रावधान है. वहां केस दर्ज कर संबंधित थाना को भेज दिया जायेगा. आप नाथनगर थाना में भी जीरो एफआइआर करने के संबंध में आवेदन दे सकते हैं. सुजीत कुमार, हुसैनाबाद. भागलपुर.प्रश्न :
श्रम आयुक्त कार्यालय से मेरा सर्टिफिकेट कोर्ट में सदर एसडीएम के यहां केस दायर किया गया है. उनके कोर्ट से विभाग को तीन बार नोटिस जा चुकी है और विभाग इसका जवाब नहीं दे रहा है. मेरे मजदूरी का भुगतान नहीं किया गया तो श्रम आयुक्त को इसकी शिकायत की गयी थी. जिस पर श्रम आयुक्त ने पैसा जमा करने के लिए निर्देश दे दिया था. ऐसे में क्या किया जाये?उत्तर :
अपने अधिवक्ता के माध्यम से कोर्ट में अपील करें कि अपने विपक्षी के विरुद्ध बॉडी वारंट जारी करें. इसके बाद जितना रुपये बाकी है विपक्षी की उतनी संपत्ति को जब्त कर भुगतान कराया जाये. आप पहले एसडीएम कोर्ट में आवेदन देकर जो भी उचित ऑर्डर है उसे पारित करवाएं. बॉडी वारंट जारी करने को कहें, अगर नहीं करते हैं तो उनके विरुद्ध आप हाईकोर्ट भी मूव कर सकते हैं.उज्जवल कुमार रॉय, रौशनपुर, पीरपैंती.
प्रश्न :
हमलोग दो भाई हैं. मैं खुद प्राइवेट कंपनी में जॉब करता हूं, इस वजह से गांव में नहीं रहता हूं. इसी दौरान भाई ने पिताजी से बोलकर एक जमीन को बिकवा दिया. जब आया तो मैंने इसका विरोध किया. भाई ने बताया कि दूर की जमीन थी. दूर होने की वजह से परेशानी होती थी इस वजह से जमीन बेच दी. घर के पास कोई जमीन खरीदने की बात कही. अब पैसा आने के बाद उसे नहीं दे रहा है और न ही कोई जमीन खरीद रहा है. पिताजी को बोलने पर उन्होंने मेरी पत्नी के नाम से लगभग आधी जमीन रजिस्ट्री कर दी. जब मैंने म्यूटेशन के लिए आवेदन दिया तो पता चला कि भाई ने सीओ के यहां ऑब्जेक्शन डाल दिया है. ऐसे में क्या करें?उत्तर :
म्यूटेशन के लिए जो आपने आवेदन दिया है उसमें क्या आदेश आता है उसे देखा जाये. या तो कंप्लेंट को खारिज किया जाता है या फिर आपका म्यूटेशन खारिज हो सकता है. अगर आपका म्यूटेशन खारिज किया जाता है तो आप फिर डीसीएलआर के यहां अपील कर सकते हैं. और अगर वहां भी खारिज होता है तो एडीएम के यहां रिविजन के लिए अपील कर सकते हैं. या फिर आप डिक्लेरेशन फाइल कर सकते हैं. या फिर टाइटिल सूट के माध्यम से भी आ सकते हैं. कृष्ण देव महतो,सराय, भागलपुर.प्रश्न :
मेरा एक भाई जोकि मूक बधिर है, जिसका ग्राम पंचायत सचिव, गोराडीह में बहाली हुई. इसकी सूचना एक दिन पूर्व ही दी गयी. काउंसलिंग के दिन जैसे तैसे जो भी कागजात/दस्तावेज मौजूद था वह लेकर चला गया. जहां कागज पूर्ण नहीं होने की वजह से दोबारा आने को कहा गया और प्रखंड में कई कागजात पर हस्ताक्षर करवा लिया गया. इसके बाद जितना संभव हो सका उतने कागजात को एकत्रित कर उसे रजिस्ट्री कर दिया और रीसिविंग भी करवाया है. इसके बावजूद कोई जवाब नहीं दिया जा रहा है. ऐसे में क्या करें?उत्तर :
सबसे पहले तो आपने एक दिन पूर्व ही कागजात देकर रीसिविंग कराया है. एक-दो दिन देख लें. अगर कोई प्रतिक्रिया नहीं आती है तो आप डालसा कार्यालय आकर दिव्यांगों को दिया जाने वाला नि:शुल्क परामर्श और लीगल एड के पास शिकायत करें.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है