प्रभात खबर की ओर से आयोजित लीगल काउंसलिंग में अधिवक्ता राहुल तोमर ने पाठकों को दी कानूनी सलाहप्रभात खबर कार्यालय में रविवार को व्यवहार न्यायालय के युवा अधिवक्ता कुमार प्रियरंजन उर्फ राहुल तोमर ने कहा कि किसी भी आपराधिक मामले में पुलिस का अनुसंधान न्याय प्रक्रिया की रीढ़ होता है. अनुसंधान सटीक और निष्पक्ष हो, तभी पीड़ित को समय पर न्याय मिल सकता है. उन्होंने कहा कि पुलिस अनुसंधान में कुछ बदलाव जरूर देखने को मिल रहे हैं, लेकिन इसकी गति बेहद सुस्त है. कई बार पुराने ढर्रे पर की गई जांच से देरी और गलत निष्कर्ष निकलते हैं. ऐसे में अब जरूरत है कि पुलिस नए आपराधिक कानून की कसौटी पर अपने अनुसंधान की दिशा तय करे. प्रियरंजन ने कहा कि कानून में आए बदलाव के अनुसार जांच पद्धति में भी वैज्ञानिकता, तकनीकी दक्षता और संवेदनशीलता होनी चाहिए. अपराध की सही रूपरेखा तभी सामने आएगी जब पुलिस जमीनी तथ्यों पर आधारित निष्पक्ष अनुसंधान करें.
अधिवक्ता तोमर ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में पुलिस की छवि में सकारात्मक बदलाव आया है. आम लोगों से पुलिसकर्मियों का व्यवहार बेहतर हो रहा है. एफआईआर दर्ज कराने की प्रक्रिया भी पहले की तुलना में सरल हुई है. इसके बावजूद त्वरित न्याय अभी लक्ष्य से दूर हैं. पर्यवेक्षण और अनुसंधान के दौरान भेदभाव की घटनाएं सामने आती हैं. कई बार निर्दोष लोगों को झूठे मुकदमों में फंसा दिया जाता है और वे अपनी बेगुनाही सिद्ध करते-करते थक जाते हैं. यदि पुलिस निष्पक्षता से काम करे और सच्चाई को प्राथमिकता दे, तो ऐसे मामलों में ””””””””दूध का दूध और पानी का पानी”””””””” करना संभव है. तभी पुलिस पर आम जनता का भरोसा पूरी तरह बहाल हो पाएगा. लीगल काउंसलिंग में कई पाठकों ने कानूनी सलाह ली, प्रस्तुत है कुछ प्रमुख प्रश्नों के उत्तर…1. आत्महत्या के एक झूठे मामले में मुझे फंसाया गया है, क्या करना चाहिए.सुदेश, भागलपुरउत्तर – आपको पुलिस पदाधिकारियों के समक्ष जाना चाहिए और अपनी बेगुनाही की बात को साक्ष्य सहित साबित करना चाहिए. उम्मीद है आपको न्याय मिलेगा.2. मैं एक कोचिंग में पढ़ती हूं. मेरे ही साथ पढ़ने वाला लड़का मुझे तीन बार प्रपोज कर चुका है. मैं उस लड़के को पसंद नहीं करती हूं. क्या करूं, कुछ समझ नहीं आ रहा है.
एक छात्रा, भागलपुरउत्तर – सबसे पहले आप कोचिंग के प्रबंधक के समक्ष खुल कर अपनी बात को रखें और जरूरत पड़े महिला हेल्पलाइन या पुलिस से संपर्क करें. इस तरह के मामलों में सख्त फैसला लेना जरूरी है.3. शराब पीने के मामले में एक बार जुर्माना देकर छूट चुका हूं. क्या दूसरी बार पकड़े जाने पर भी जुर्माना दे कर छूट सकते हैं ?एक पाठक, भागलपुर.उत्तर – नहीं, अगर आप दूसरी बार पकड़े गये तो आपका जेल जाना तय होगा. इसलिए अच्छा है शराब पीना छोड़ दें, शराब अच्छी चीज नहीं है.4. पति का दूसरी महिला के साथ संबंध है. इन दिनों उसका बर्ताव भी मेरा साथ ठीक नहीं है. मुझे क्या करना चाहिए ?एक गृहणी, भागलपुर.
उत्तर – आपको सटीक साक्ष्य एकत्रित कर कानून का सहारा लेना चाहिए.5. मुझे चार पुत्र है, एक पुत्र गंभीर अपराध में संलिप्त हो चुका है. वह फरार है. उसके नाम से कुर्की का भी वारंट है. मैंने उसे पहले ही मौखिक रूप से अपनी संपत्ति से बेदखल कर दिया है. क्या पुलिस फिर भी मेरी संपत्ति कुर्क करेगी.एक पाठक, भागलपुर.
उत्तर – आपको लिखित रूप से अपने पुत्र को संपत्ति से बेदखल करना चाहिए. खैर आपने मौखिक किया है तो स्थानीय जनप्रतिनिधियों से सहयोग लें. पुलिस और कोर्ट में अपनी बातों को रखें, उम्मीद है कानून संगत कार्रवाई होगी. 6.एक सादे कागज पर समझौता पत्र बना कर रकम ले लिया है लेकिन अब दे नहीं रहा है. क्या करना चाहिए.रोहित राज, नवगछिया.
उत्तर – रकम का देन लेन का समझौता पत्र स्टांप पर बनवाना चाहिए और उसे संबंधित पदाधिकारी के यहां पंजीकृत भी करवाना चाहिए. अगर आपने ऐसा नहीं किया है तो आप अपने वकील के माध्यम से एक प्लीडर नोटिस भिजवायें, फिर आगे की कार्रवाई करें. 7.मैं एक दुकानदार हूं, एक महिला ग्राहक ने उधारी ली और वह अपना घर छोड़ कर भाग गयी है. जब आस पास पूछताछ किया तो पता चला कि उसने कई लोगों से ठगी की है. क्या करना चाहिए ?नवलकिशोर मंडल, कहलगांव
उत्तर – आप या जिन लोगों के साथ ठगी हुई है वे उक्त महिला के पते पर लीगल नोटिस भिजवायें, लीगल नोटिस का जवाब अगर पंद्रह दिन के अंदर नहीं आता है तो आप न्यायालय या थाना जा कर मुकदमा दायर कर सकते हैं. दूसरी तरफ जितने भी लोगों से ठगी हुई है वे एक सामूहिक आवेदन बना कर वरीय पदाधिकारियों को दें ताकि वह अपनी संपत्ति की गुपचुप तरीके से बेच न सकें.8. मेरे एक दोस्त पर पॉक्सो एक्ट में केस हो गया है. वह अभी जेल में है. एक बार उच्च न्यायालय में उसकी जमानत याचिका खारिज हो चुकी है. फिर से जमानत याचिका दायर की गयी है. लेकिन न्यायिक कार्रवाई में कथित रूप से पीड़िता बार-बार बयान बदल रही है. क्या इस बार जमानत मिल सकती है.
अंकित कुमार, बांका, कटोरियाउत्तर – अगर आपका कानूनी पक्ष मजबूत होगा, आप निर्दोष होंगे तो आपको निश्चित न्याय मिलेगा. कोर्ट में मजबूती के साथ अपना पक्ष रखें.पारिवारिक मामलों में बढ़ोतरी से सामाजिक बदलाव के संकेत : अधिवक्ता राहुल तोमर
हाल के वर्षों में न्यायालयों में पारिवारिक विवादों से संबंधित मामलों में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है. इस प्रवृत्ति को केवल नकारात्मक दृष्टिकोण से नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि यह सामाजिक बदलाव का स्पष्ट संकेत भी है. युवा अधिवक्ता राहुल तोमर ने कहा कि यह स्थिति दर्शाती है कि हमारा समाज पुराने ढर्रों से बाहर निकल कर व्यक्तिगत अधिकारों और स्वतंत्रता की ओर बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि अब पति, सास, ससुर या परिवार के अन्य वरिष्ठ सदस्य किसी भी पारिवारिक सदस्य पर अपनी सोच या परंपरा नहीं थोप सकते हैं. हर व्यक्ति अपनी जिंदगी अपने तरीके से जीना चाहता है और यह उसका संवैधानिक अधिकार भी है. राहुल तोमर ने कहा कि बदलाव के इस दौर में टकराव स्वाभाविक है. कई बार यह कोर्ट-कचहरी तक भी पहुंचता है, लेकिन धीरे-धीरे समाज इस परिवर्तन को समझेगा और पारिवारिक रिश्तों में संतुलन कायम होगा. उन्होंने कहा कि यह बदलाव पीड़ा का नहीं, बल्कि समझ के विस्तार का संकेत है, जो भविष्य में एक स्वस्थ सामाजिक संरचना की नींव रखेगा.सोशल मीडिया पर न्यूडिटी और वल्गैरिटी पर सख्ती जरूरी
अधिवक्ता तोमर ने कहा कि सोशल मीडिया अब अभिव्यक्ति का प्रमुख माध्यम बन चुका है, लेकिन कुछ लोग इसका दुरुपयोग कर रहे हैं. न्यूड या वल्गर कंटेंट पोस्ट करना एक चिंताजनक प्रवृत्ति बनती जा रही है, जो खासकर युवाओं और किशोरों पर गलत असर डाल रही है. ऐसे मामलों पर पुलिस और साइबर सेल को गंभीरता से निगरानी करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि यदि कोई व्यक्ति सोशल मीडिया पर नग्नता या अश्लीलता फैलाता है तो उसके खिलाफ क़ानूनी कार्रवाई हो सकती है. ऐसे मामलों में अभियुक्त को जेल और जुर्माना दोनों का सामना करना पड़ सकता है. उन्होंने कहा कि यह केवल कानून का उल्लंघन नहीं, बल्कि सामाजिक मूल्यों और सभ्यता पर हमला है. पुलिस को चाहिए कि ऐसे कंटेंट की निगरानी कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई करे, ताकि डिजिटल स्पेस शालीन और सुरक्षित बना रहे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है