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Bhagalpur news प्रधानमंत्री को इच्छामृत्यु के लिए लिखा गया पत्र भी पुत्र का इलाज नहीं करवा पाया

प्रधानमंत्री को पूरे परिवार के इच्छामृत्यु के लिए लिखा गया पत्र भी पुत्र का इलाज नहीं करवा पाया. इलाज नहीं होने से पुत्र की मौत हो गयी.

प्रधानमंत्री को पूरे परिवार के इच्छामृत्यु के लिए लिखा गया पत्र भी पुत्र का इलाज नहीं करवा पाया. इलाज नहीं होने से पुत्र की मौत हो गयी. नवगछिया प्रखंड कार्तिक नगर कदव के शिक्षक घनश्याम कुमार का पुत्र अनिमेष अमन की मौत हो गयी. शिक्षक घनश्याम कुमार कहते हैं कि सरकार की गलत नीति व असंवेदनशील रवैया से मेरे पुत्र को पीटीसी एटलरीन नामक दवाई रहते हुए उपलब्ध नहीं करवाया गया. पुत्र तड़प-तड़प कर इलाज के अभाव में मौत की भेंट चढ़ गया.

मेरे बेटे का सपना था कि कॉमिक्स लिख कर पूरे दुनिया को देना था, लेकिन वह सपना अधूरा रह गया. वह हम सबको छोड़ कर चला गया. पुत्र की मौत बहुत कष्टदायक होती है, जिसे हम बयां नहीं कर सकते हैं. 23 मई को भागलपुर निजी क्लिनिक में पुत्र की इलाज के दौरान मौत हो गयी.

शिक्षक ने पुत्र के इलाज के लिए प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर पूरे परिवार की इच्छा मृत्यु की मांग की थी. शिक्षक के दोनों पुत्रों को ड्यूचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी बीमारी है, जो बेहद खतरनाक मानी जाती है. इलाज में करोड़ों रुपये खर्च होते हैं. एक पुत्र की उम्र 15 वर्ष है, तो दूसरे की महज 10 वर्ष है. दोनों अपनी जिंदगी व्हीलचेयर पर ही गुजार रहे हैं.

क्या है ड्यूचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी

डीएमडी एक अनुवांशिक बीमारी है, जिसमें मांसपेशियों में लगातार कमजोरी बढ़ती है. इसकी शुरुआत बचपन में ही हो जाती है. इस बीमारी में शरीर के मांसपेशियों में पाये जाने वाला प्रोटीन, जिसको डिस्ट्राफिन कहते हैं, उसका बनना बंद हो जाता है और वह सूखती जाती है. बच्चों के चलने, खड़ा होने, खाने और सांस लेने में परेशानी होने लगती है. सरकार इस बीमारी से ग्रसित बच्चों की ओर ध्यान केंद्रित करें, ताकि ऐसे तमाम मासूम बच्चों की जान बचायी जा सके.

सरकार से मदद की गुहार

नवगछिया के कदवा कार्तिकनगर गांव के शिक्षक घनश्याम ने बताया कि बच्चों की बीमारी से पूरा घर परेशानी से जूझ रहा है. उन्होंने कहा कि एम्स दिल्ली समेत दर्जन भर से अधिक सरकारी व निजी अस्पतालों में अपने दोनों बेटे अनिमेष अमन (15) व अनुराग आनंद (10) का इलाज करवाया है. 15 वर्षों में मैंने लगभग 50 लाख रुपये से अधिक इलाज में खर्च किये हैं, लेकिन सरकारी तंत्र और अधिकारियों ने अब तक कोई मदद नहीं की है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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