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Bhagalpur news भाइयों के विवाद में श्मशान घाट पर पड़ी रही मां की लाश

एक मां, जिसने अपने जीवन के लंबे वर्षों में आठ पुत्रों को जन्म दिया. उसकी अंतिम विदाई संपत्ति विवाद की भेंट चढ़ गयी.

-रात आठ बजे मंझले पुत्र लाल मोहन यादव ने मां को दी मुखाग्निप्रतिनिधि, सुलतानगंज

एक मां, जिसने अपने जीवन के लंबे वर्षों में आठ पुत्रों को जन्म दिया. उसकी अंतिम विदाई संपत्ति विवाद की भेंट चढ़ गयी. बरियारपुर थाना क्षेत्र के नया छावनी की सुदामा देवी (84) का पार्थिव शरीर शनिवार की रात जब अंतिम संस्कार के लिए सुलतानगंज श्मशान घाट लाया गया, तो वहां भाइयों में संपत्ति विवाद इस कदर बढ़ गया कि छह घंटे तक मां का शव यूं ही पड़ा रहा. शनिवार की रात 9:30 बजे सुदामा देवी का निधन हो गया. उनके आठ पुत्र थे, जिनमें से दो की पहले ही मृत्यु हो चुकी थी. शेष छह पुत्रों में किसी एक को मुखाग्नि देनी थी, लेकिन परिवार में संपत्ति को लेकर विवाद उभर आया. मृतका के छोटे पुत्र लाल मोहन यादव ने अंतिम संस्कार की प्रक्रिया रोक दी और स्वयं मुखाग्नि देने की जिद पर अड़ गया.

थानाध्यक्ष के समझाने के बाद रात आठ बजे दी मुखाग्नि

स्थिति तनावपूर्ण हो गयी तो पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा. सूचना पर सुलतानगंज थानाध्यक्ष मृत्युंजय कुमार दल-बल के साथ श्मशान घाट पहुंचे. विरोध कर रहे पुत्राें को समझाने का प्रयास किया. उन्होंने पुत्रों को मां के प्रति उनके कर्तव्यों की याद दिलायी और उन्हें भावनात्मक रूप से समझाया. करीब छह घंटे की खींचतान व समझा बुझाने के बाद रात करीब 8:00 बजे अंतिम संस्कार की प्रक्रिया शुरू हुई. मंझले पुत्र लाल मोहन यादव ने मां को मुखाग्नि दी. परिवार ने सामूहिक रूप से अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी की. स्थानीय लोगों ने इस घटना पर दुख जताया. कहा कि जहां एक ओर समाज में मां को भगवान के समान माना जाता है, वहीं दूसरी ओर इस घटना ने मानवीय मूल्यों को झकझोर कर रख दिया. एक वृद्ध महिला, जो उम्र के अंतिम पड़ाव तक अपने बच्चों के लिए जीती रही, उसे मृत्यु के बाद भी सम्मानजनक विदाई नहीं मिल पायी. श्मशान घाट पर उपस्थित लोगों ने कहा कि ऐसे विवादों का सार्वजनिक स्थानों पर पहुंचना समाज में नैतिकता के गिरते स्तर को दर्शाता है. एक पुत्र ने मां के शव के साथ इस प्रकार का व्यवहार बेहद शर्मनाक है. पुलिस के समय पर हस्तक्षेप करने के कारण विवाद और ज्यादा नहीं बढ़ सका और मामला शांतिपूर्वक सुलझा लिया गया. थानाध्यक्ष मृत्युंजय कुमार की सूझबूझ की सराहना करते हुए लोगों ने कहा कि यदि पुलिस नहीं आती, तो मामला और बिगड़ सकता था.

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