आरफीन, भागलपुर टीएमबीयू के कुलपति के नीतिगत निर्णय पर रोक लगने से पहले विवि प्रशासन ने दस योजना के लिए टेंडर निकाला था. इसमें किसी भी टेंडर के लिए एक भी ठेकेदार ने रुचि नहीं दिखायी. सारा टेंडर वेबसाइट पर ही पड़ा रह गया. इसकी आगामी प्रक्रिया फाइलों तक नहीं पहुंच सकी. इस बीच कुलपति का वित्तीय अधिकार राजभवन द्वारा सीज कर लिया गया. विवि में इस बात की काफी चर्चा हो रही है कि विवि की इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ, जब इतनी संख्या में टेंडर निकाली गयी हाे और एक भी ठेकेदार ने आवेदन जमा न किया हो. इस कारण विवि के कई विकास कार्य रुक गये हैं. अब विवि के सामने इन विकास कार्यों को कराने के लिए नये कुलपति के आने से पहले कोई उपाय नहीं रह गया है. दरअसल, विवि के रजिस्ट्रार प्रो रामाशीष पूर्वे ने 23 मई को विभिन्न योजना को लेकर दस टेंडर विवि के वेबसाइट पर निकाला था. इसके लिए 12 जून को कार्यालय समय के अनुसार दिन के 11.30 से लेकर दोपहर 3.30 बजे तक ठेकेदार द्वारा टेंडर के लिए आवेदन करना था, लेकिन पुराने व नये एक भी ठेकेदार ने टेंडर जारी होने के बाद भी रुचि नहीं दिखायी. बताया जा रहा कि टेंडर के लिए आवेदन नहीं आने पर विवि का विकास कार्य धरातल पर उतर नहीं पाया.
टीएमबीयू के तहत हाथियानाला के पास उत्तरी दिशा में आरसीसी बाउंड्री दीवार का निर्माण 23 मई 5 लाख 945
प्रशासनिक भवन के परीक्षा अनुभाग के दूसरे तल पर नई विद्युत स्थापना कार्य निर्माण 23 तई आठ लाख 758
पीजी जूलॉजी विभाग में स्थित जेएस दत्ता मुंशी रिसर्च लैब की मरम्मत एवं रंगरोगण कार्य 23 मई आठ लाख 110
जूलॉजी विभाग में फिश हाउस की मरम्मत एवं पुनर्निर्माण कार्य 23 मई 17 लाख 875
जूलॉजी विभाग में सीमा दीवार का निर्माण 23 मई 27 लाख 938
जूलॉजी विभाग में बटरफ्लाई पार्क का निर्माण 23 मई नौ लाख 170
जलॉजी विभाग में कछुआ घर की मरम्मत और नवीनीकरण कार्य 23 मई दो लाख 593
कंप्यूटर सेंटर में आइटी सेल का पार्टीशन और अन्य कार्य के लिए 23 मई 20 लाख
पीबीएस कॉलेज बांका के बाउंड्री बॉल का निर्माण 23 मई 17 लाख 445
कुलपति का वित्तीय पावर हुआ सीज
राजभवन ने टीएमबीयू के कुलपति प्राे जवाहर लाल के नीतिगत निर्णय लेने पर 27 मई को राेक लगा दी थी. कुलाधिपति आरिफ माेहम्मद खान के निर्देश पर राजभवन के अपर सचिव महावीर प्रसाद शर्मा ने पत्र जारी किया था. जिसमें कहा गया कि कुलपति के तीन साल का कार्यकाल निकट भविष्य में समाप्त हाेने वाला है. राजभवन ने पत्र में कहा कि अगर विशेष परिस्थिति में काेई निर्णय लेना हाे, ताे इसके पहले कुलाधिपति से अनुमति लेनी हाेगी. कुलपति का कार्यकाल अगस्त में पूरा हो रहा है.ठेकेदारों को नये कुलपति का इंतजार : सूत्र
विवि सूत्रों के अनुसार टेंडर नहीं भरने के पीछे तरह-तरह की चर्चा विवि में की जा रही है. सूत्रों के अनुसार ठेकेदारों ने यह मन बना लिया है कि नये कुलपति के आने के बाद ही ठेके का काम करने का प्रयास किया जायेगा. विवि से जारी टेंडर में निर्माण कार्य को लेकर समय अवधि दिया गया है. काफी परेशान करने वाला है. किसी कार्य के लिए एक माह, दो माह, तीन माह और 24 माह का समय दिया गया है, जो काफी कम है.
——————क्या कहते है रजिस्ट्रार
विवि के रजिस्ट्रार प्रो रामाशीष पूर्वे ने कहा कि मामले में विवि इंजीनियर से जानकारी ली जायेगी. आखिर किस कारण से टेंडर के लिए आवेदन नहीं किया गया. यह गंभीर मामला है. ऐसे में विवि का विकास कार्य आगे नहीं बढ़ पायेगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है