– प्रदेश सरकार ने क्षेत्र विस्तार कार्यक्रम के तहत 800 एकड़ से रकबा बढ़ाकर 2000 एकड़ तय किया लक्ष्य, सुगंधित धान की खेती को मिलेगा बढ़ावा
दीपक राव, भागलपुर
भागलपुर प्रक्षेत्र में कतरनी की खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार की ओर से किसानों को अनुदान दिया जायेगा. इतना ही नहीं खेती का रकबा 800 से बढ़ा कर 2000 एकड़ तक करने का लक्ष्य रखा गया है. वहीं बांका में 500 एकड़ तक लक्ष्य रखा गया है, जहां किसानों को अनुदान दिया जायेगा. डीएओ प्रेम शंकर प्रसाद ने बताया कि जीआई टैग प्राप्त कतरनी की खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रति एकड़ 6000 रुपये मिलेंगे. यह दो किस्त में मिलेगा. पहला किस्त रोपनी के बाद, उसी शर्त पर मिलेगा, जब विभाग के पदाधिकारी भौतिक सत्यापन करेंगे. फिर दूसरा किस्त धान की बाली निकलने के बाद मिलेगा. दो किस्त में 3000 व 3000 रुपये मिलेंगे. इससे किसानों को खेती में सुविधा होगी. उन्होंने बताया कि सुगंधित धान की खेती के लिए सुल्तानगंज, जगदीशपुर, कहलगांव, सन्हौला, गोराडीह व शाहकुंड के धान उत्पादक क्षेत्रों केो चुना गया है. वहीं बांका अंतर्गत रजौन, अमरपुर, बौंसी व बाराहाट में कतरनी की खेती को बढ़ावा देने की बात की गयी है.ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया शुरू
आत्मा के उप परियोजना निदेशक प्रभात कुमार सिंह ने बताया कि खेती में अनुदान का लाभ लेने के लिए आवेदन की प्रक्रिया शुरू हो गयी है. बीज निगम के पोर्टल पर कतरनी उत्पादक किसान आवेदन कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि कतरनी का बीज रियायत दर पर बिहार कृषि विश्वविद्यालय की ओर से उपलब्ध कराया जाता है.—————-किसानों को किया जा रहा है जागरूकबीएयू सबौर के सहयोग से भागलपुरी कतरनी उत्पादक संघ की ओर से कतरनी की खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों के बीच जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. पहले से ही भागलपुरी कतरनी की खेती का रकबा बढ़ाने पर जोर था. अब प्रदेश सरकार की ओर से आर्थिक सहयोग दिया जा रहा है. बीएयू के पौधा प्रजनन विभाग के कनीय वैज्ञानिक डॉ मंकेश कुमार ने बताया कि भागलपुर के जगदीशपुर, सुल्तानगंज, शाहकुंड, सन्हौला में केवल 300 हेक्टेयर में कतरनी की खेती होती थी. मुंगेर में 200, बांका में 600, जबकि भागलपुर में 800 से 1000 हेक्टेयर तक रकबा बढ़ाने का लक्ष्य था, जो पूरा हो गया. मौसम में सुधार होने के साथ-साथ जैविक तरीके से खेती को बढ़ावा मिला है.लगातार प्रयास के बाद बढ़ी उपज, कतरनी की खेती के लिए बना माहौल
इतना ही नहीं, जैविक तरीके से हुई कतरनी की खेती ने कतरनी की खुशबू को और बढ़ा दी. इससे कतरनी चूड़ा और चावल की मांग बढ़ने के साथ कीमत भी मुंहमांगी मिल रही है. इससे किसानों का उत्साह देखते ही बन रहा है. कतरनी उत्पादक संघ के राजशेखर एवं संघ के अध्यक्ष सुबोध चौधरी ने बताया कि बीएयू और भागलपुर कतरनी उत्पादक संघ की देखरेख में कतरनी की खेती की गयी थी. लगातार प्रयास के बाद दो क्विंटल से अधिक उपज बढ़ गयी. पहले जहां एक हेक्टेयर में 28 क्विंटल कतरनी धान की उपज हुई थी, अब 30 से 32 क्विंटल हो रही है.बीएयू के वैज्ञानिक फसल की राह में आयी मुश्किलों को दूर कर विस्तार मिला. वहीं, सुलतानगंज के प्रगतिशील कतरनी उत्पादक किसान मनीष सिंह ने बताया कि कतरनी की खेती देर से बारिश में उपयुक्त है. सुलतानगंज प्रखंड के बाथू करहरिया, नया गांव, कुमैठा, देवधा, हल्कारचक में बड़े पैमाने पर कतरनी की खेती हो रही है.
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