नवगछिया भ्रमरपुर दुर्गा मंदिर में भागवत कथा के तीसरे दिन डाॅ राम कृपाल त्रिपाठी ने कहा कि जब व्यास का पुत्र जन्म लेते ही जंगल की ऒर चल पड़ा, तो पुत्र के पीछे भगवान व्यास दौड़ पड़े, लेकिन शुकदेव वापस नहीं आये. तब व्यास के शिष्यों ने दो श्लोकों से कृष्ण के स्वभाव और स्वरूप का वर्णन किया, जिसे सुन कर शुकदेव व्यास के पास आये. व्यास ने शुकदेव को भागवत सुनायी. भागवत के प्रारंभ में महाभारत की चर्चा है. दुर्योधन युद्ध भूमि में घायल पड़ा है और अश्वथामा ने पांडव के बदले उनके पांच पुत्रों का गर्दन काट कर दुर्योधन के पास ले आया. यह देखकर दुर्योधन ने धिक्कारते हुए कहा, तूने अनर्थ कर दिया. कुरुवंश का नाश कर दिया. इस शोक से दुर्योधन मर गया. युधिष्ठिर के राजा बनने के बाद कृष्ण के साथ पांडव भीष्म पितामह के पास गये. भीष्म, युधिष्ठिर, संवाद का अद्भुत वर्णन सुनाने के बाद उन्होंने भगवान कृष्ण के सामने भीष्म द्वारा अपने शरीर त्याग की कथा सुनायी. गांधारी ने कृष्ण को शाप देते हुए कहा कि तुम अगर चाहते, तो महाभारत युद्ध नहीं होता. 36 वर्ष वाद तुम्हारे साथ यदुवंश का भी नाश हो जायेगा. कृष्ण के जाने के बाद अभिमन्यु के पुत्र परीक्षित को राजा बना कर युधिष्ठिर पांचों भाई, द्रौपदी के साथ स्वर्गारोहण को निकल गये. एक दिन जंगल में शिकार के क्रम प्यास से तड़पते परीक्षित ने ऋषि के गले में मरा सांप डाल दिया. ऋषि पुत्र ने सातवें दिन सर्प डसने से परीक्षित को मरने का शाप दिया. तब अपने कल्याण के लिए परीक्षित गंगा तट पर आ गये, जहां ऋषि मुनियों के समूह के बीच शुकदेव जी ने भागवत कथा सुनायी. कथा से पूर्व भजन सम्राट डाॅ दीपक मिश्र ने अपने पूज्य पिता प्रो मदन मोहन मिश्र की वृंदावन महिमा से संबंधित भजन जग में अनुपम वृंदावन है, सुना कर हजारों श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया. मंच संचालन प्रो अरविंद कुमार झा ने किया. शम्भु गोस्वामी, संजय झा, पंडित धनंजय झा, अशोक झा ने आरती की. शनिवार की सुबह साढ़े आठ बजे सामूहिक सुंदरकांड का पाठ होगा.
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