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bhagalpur news. मां-बाप की संपत्ति पर बच्चों की सहमति व लीगल प्रक्रिया पूरा करने के बाद वैध माना जायेगा बंटवारा

प्रभात खबर कार्यालय में रविवार को आयोजित लीगल काउंसलिंग

प्रभात खबर कार्यालय में रविवार को आयोजित लीगल काउंसलिंग में व्यवहार न्यायालय के वरीय अधिवक्ता सह अपर लोक अभियोजक राजेश कुमार सिंह ने कहा कि मां-बाप की संपत्ति में उनके बच्चों की हिस्सेदारी होती है, लेकिन बंटवारा के समय सभी हिस्सेदारों की सहमति कानूनी रूप में होना जरूरी है. ऐसा नहीं करने पर बंटवारा अवैध माना जायेगा. कहा कि कोर्ट में शिकायत आ रही है कि बिना हिस्सेदारों की सहमति से अपना हिस्सा जबरन लेते है. ऐसे में संपत्ति का बंटवारा अवैध माना जायेगा. लीगल के तहत कोई हिस्सेदार कोर्ट के शरण में जाता है, तो बंटवारा पर रोक लग सकता है. कहा कि यह भी देखा जा रहा है कि घर में ही हिस्सेदार बैठक कर संपत्ति का बंटवारा कर लेते हैं. इसमें भी उन हिस्सेदारों की सहमति होना अनिवार्य है. साथ ही इस स्थिति में लीगल के तहत प्रक्रिया को पूरा करना होगा, तभी संपत्ति का बंटवारा वैध माना जायेगा. बंटवारा से पहले वंशावली बनाये, फिर बंटवारे संबंधित प्रक्रिया को पूरा करे. बाप-मां की संपत्ति के बंटवारा को लेकर ज्यादा मामले कोर्ट में आ रहा है. ऐसे में बंटवारा से पूर्व सभी हिस्सेदारों की सहमति लें. कहा कि वर्तमान समय में जमीन विवाद का मामला सिविल कोर्ट में बढ़ा है. जमीन विवाद के कारण अपराध का ग्राफ भी बढ़ रहा है. घरेलू विवाद को लेकर कोर्ट पर बढ़ रहा दबाव वरीय अधिवक्ता राजेश कुमार सिंह ने कहा कि पिछले एक-दो साल में घरेलू विवाद को लेकर कोर्ट पर दवाब बढ़ा है. फैमिली कोर्ट में पति-पत्नी, सास-ससुर व बाप- बेटे के बीच का विवाद है. इसके कई कारण हैं, लेकिन उसमें सबसे बड़ा कारण मोबाइल है. मोबाइल को लोग दिनचर्या में शामिल कर लिये हैं. ऐसे में संवादहीनता की स्थिति होने से इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं. छोटे विवाद से बड़ा मामला बन रहा छोटे-छोटे विवाद बड़ा विवाद का स्वरूप ले रहा है. कोर्ट में घर के बाहर पानी गिराने, पारिवारिक विवाद, पशु द्वारा फसल को नुकसान पहुंचाने समेत अन्य मामलों से विवाद शुरू होता है. फिर धीरे-धीरे बड़ा विवाद का रूप लेने लगता है. इस तरह के मामले ज्यादा आ रहे हैं. दूसरी तरफ प्रेम-प्रसंग को लेकर भी मामले बढ़ते जा रहे हैं. हालांकि, लड़की पक्ष द्वारा मामले में अपहरण का ही मामला दर्ज कराया जाता है, लेकिन पुलिस के जांच में प्रेम-प्रसंग का मामला सामने आता है. युवा अधिवक्ता वकालत के बेसिक पर करें काम युवा अधिवक्ता वकालत से जुड़ रहे हैं, लेकिन उनको वकालत के बेसिक चीजों पर खास ध्यान देने की जरूरत है. इसका ईमानदारी पूर्वक परिश्रम ही उनको बढ़िया और अच्छा अधिवक्ता बनने में काम आयेगा. कहा वकालत रॉयल प्रोफेशनल में शुमार होता है. सिविल डिस्प्यूट निष्पादन में डीसीएलआर व फैमिलियर पुलिसिंग पर जोर राजेश कुमार सिंह ने सिविल विवादों को लेकर महत्वपूर्ण जानकारी दी. कहा कि आमतौर पर ऐसे मामलों के निष्पादन के लिए डीसीएलआर रैंक के पदाधिकारी को अधिकृत किया जाता है, जिससे सुलभ और सूक्ष्म न्याय सुनिश्चित हो सके. आज के दौर में कानून की पहुंच पंचायत स्तर तक हो चुकी है. पहले की तुलना में लोगों में विधिक जानकारी का व्यापक प्रसार हुआ है, जिसके लिए समय-समय पर लीगल एडवाइजरी जारी की जाती है. बताया कि लीगल काउंसलिंग के तहत एक विशेषज्ञ हमेशा सलाहकार के रूप में मौजूद रहते हैं. पुलिस-जनता में समन्वय जरूरी फैमिलियर पुलिसिंग को लेकर उन्होंने कहा कि सरकार अब आम जनता और पुलिस के बीच समन्वय स्थापित करने के लिए प्रयासरत है. इसके तहत विभिन्न अभियान समय-समय पर चलाए जाते हैं. महिलाओं की समस्याओं के समाधान के लिए महिला हेल्प डेस्क एवं विशेष परिस्थिति में आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर जैसी सुविधाएं दी गई है. बावजूद शिकायतें अक्सर सामने आती हैं. उन्होंने स्पष्ट किया कि इसका मुख्य कारण पुलिस और आम जनता के बीच समन्वय की कमी है. वर्तमान व्यवस्था में थानों पर सभी पुलिसकर्मियों को एक जैसे दायित्व दिए जाते हैं. अगर कार्य का स्पष्ट विभाजन किया जाए, तो पुलिसिंग व्यवस्था अधिक सशक्त हो सकती है. थानों में टीम आधारित व्यवस्था की वकालत अपर लोक अभियोजक ने सुझाव दिया कि विधि-व्यवस्था के संचालन और जांच-पड़ताल के लिए अलग-अलग टीमें बनाई जाएं, तो केस की गहराई से जांच संभव होगी और निष्पादन भी प्रभावी ढंग से किया जा सकेगा. कार्यक्रम में आम नागरिकों की ओर से भी सवाल पूछे गए, जिनका विधिक रूप से समाधान अधिवक्ताओं ने किया. सवाल – जलमीनार का काम कर रहे, लेकिन ठेकेदार पैसे नहीं दे रहा मकसूद आलम, बांका उत्तर – शहरी क्षेत्र में आपका काम चल रहा है, तो संबंधित विभाग के अधिकारी से मिलकर अपनी बात को रखें. यदि ग्रामीण क्षेत्र में काम है, तो वहां के वार्ड सदस्य या सचिव के समक्ष अपनी बातों को रखे. ——————- सवाल – बेटी को दामाद रखना नहीं चाहता है, तरह-तरह से कर रहा प्रताड़ित अरुण कुमार, सुलतानगंज जवाब – केस अगर कर चुके हैं, तो संबंधित थाना में जाकर स्थिति को जाने. दामाद अगर बेटी को रखना चाहता नहीं है, तो कोर्ट में अविलंब मैंटेनेस फाइल फैमिली कोर्ट में करे. कोर्ट के संज्ञान में आने के बाद समस्या का निष्पादन होगा. —————————— सवाल – दादा की संपत्ति में जमीन निकल रहा, पर दस्तावेज नहीं है निक्की कुमार, शाहकुंड फतेहपुर जवाब – जमीन का दस्तावेज आपको उपलब्ध कराना है. सरकार ने जमीन संबंधित मामलों को लेकर एक पोर्टल उपलब्ध कराया है. उस पोर्टल पर दादा का नाम लिखे. कुछ जानकारी मिलती है, तो संबंधित मौजे के कर्मचारी से मिलकर जमीन संबंधित दस्तावेज निकलवा सकते हैं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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