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bhagalpur news.टीएनबी के संस्थापक के पोते के बकाया पेंशन का किया भुगतान

बिहार के सबसे पुराने कॉलेजों में शामिल टीएनबी कॉलेज (तेजनारायण बनैली महाविद्यालय) की स्थापना के प्रमुख संस्थापकों में राजा बहादुर कृत्यानंद सिंह भी शामिल थे.

भागलपुर बिहार के सबसे पुराने कॉलेजों में शामिल टीएनबी कॉलेज (तेजनारायण बनैली महाविद्यालय) की स्थापना के प्रमुख संस्थापकों में राजा बहादुर कृत्यानंद सिंह भी शामिल थे. उन्हीं के पोते प्रो बालानंद सिन्हा के पेंशन बकाया को टीएमबीयू प्रशासन ने रोक रखा था. इस पर प्रभात खबर ने गत छह जून को प्रमुखता से खबर प्रकाशित की थी. इसके बाद विश्वविद्यालय के शिक्षकों व कर्मचारियों समेत समाज के लोगों ने सोशल मीडिया पर विवि के विरोध में खूब लिखे. यही नहीं, सात मई को कई पेंशनर टीएमबीयू पहुंच गये और कुलपति कार्यालय के बाहर धरना पर बैठ गये. पेंशनर की एक ही मांग थी कि सबसे पहले प्रो बालानंद सिन्हा को भुगतान किया जाये, इसके बाद अन्य सभी पेंशनरों को भी बकाया राशि दी जाये. विश्वविद्यालय प्रशासन को पेंशनरों की बात माननी पड़ी और कुलपति प्रो जवाहर लाल ने प्रो सिन्हा व विमला आर्या को 48 घंटे के अंदर भुगतान करने का निर्देश दिया. बाकी पेंशनरों को भी भुगतान करने को कहा. बुधवार को प्रो बालानंद सिन्हा को भुगतान कर दिया गया.

बोले प्रो बालानंद सिन्हा

टीएमबीयू के पीजी मनोविज्ञान विभाग के सेवानिवृत्त शिक्षक प्रो बालानंद सिन्हा ने कहा कि मैं इस बात से लगभग निश्चिंत ही हो गया था कि बकाया का भुगतान सहजता से हो पायेगा. यह भी सोच लिया था कि दादाजी की तरह मैं भी अपनी बकाया राशि दान में दे दूंगा, लेकिन प्रभात खबर समाचारपत्र ने मेरी परेशानी को प्रमुखता से उठाया. पेंशनर संघर्ष मंच ने जिस तरह विवि प्रशासन के विरोध में एकजुटता दिखायी, वह सराहनीय है. टीएमबीयू के कुलपति ने उनकी समस्या से अवगत होने के बाद तत्काल भुगतान कराया और इसमें रजिस्ट्रार व अन्य कर्मियों ने तत्परता दिखायी, इसके विवि परिवार को धन्यवाद. कुछ मामूली राशि रह गयी है, जो जल्द ही भुगतान हो जाने की उम्मीद है.

कोर्ट के आदेश से पहले हुआ भुगतान

प्रो सिन्हा ने उच्च न्यायालय में एक माह पूर्व रिट याचिका दाखिल करायी थी. इसमें उन्होंने जनवरी 1996 से अक्तूबर 2018 तक वेतन और महंगाई भत्ते के अंतर के बकाया राशि 30,89,682 रुपये का भुगतान कराने की गुहार कोर्ट से लगायी, लेकिन प्रो सिन्हा को कोर्ट दौड़ने की नौबत नहीं आयी और अदालत के आदेश आने से पहले भुगतान हो गया.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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