राम कथा जीवन जीने की कला है. रिश्ते को यदि समझना है, तो राम कथा का श्रवण करें. राम कथा कल्पवृक्ष है, जो चाहोगे वह मिलेगा. उक्त बातें कहलगांव के पूरब टोला वार्ड 15 के पांडे गली में चल रहे श्रीराम कथा के पांचवे दिन कथा वाचिका साध्वी वृज किशोरी ने कहीं. उन्होंने महिलाओं को संबोधित करते हुए कहा कि महिलाएं खुद के पैरों पर खड़ी होकर किसी के सहारे पर मोहताज नहीं है. आत्मनिर्भरता का पहला कदम खुद पर भरोसा करना है. जिस दिन एक स्त्री खुद की ताकत समझ ले उसे कोई हरा नहीं सकता है. महिला जब आत्मनिर्भर बनती है, तो पूरी पीढ़ी सशक्त होती है. मनुष्य विपत्ति के समय में भगवान को याद करता हैं. उन्हें भगवान संकट से निकाल देते हैं. मानव को हर समय जब खाली मन हो, तो कहीं किसी भी अवस्था में है, भगवान का नाम लेना चाहिए. इससे मानव जीवन में बड़ी सफलता मिलती है. मनुष्य को मनुष्य से बात करने के लिए फोन की आवश्यकता पड़ती है. भगवान से बात करने के लिए मौन की आवश्यकता पड़ती है. फोन से बात करने में बिल देना पड़ता है. भगवान से बात करने के लिए दिल देना पड़ता है. हर सनातनियों को घर में रामायण का पाठ करना चाहिए. रामायण जीवन जीने की शैली सिखाती है. जिस घर में रामायण है वैसे परिवार कलह से दूर रहते हैं. राम विवाह उत्सव को आनंद में तरीके से मनाया गया. राम विवाह देख दर्शक भाव विभोर हो गये.
अखंड रामचरितमानस पाठ का समापन
पीरपैंती प्रखंड के हीरानंद गांव में श्रीराम तिवारी के आवास पर बजरंगबली मंदिर के स्थापना दिवस पर रामचरितमानस पाठ हुआ. मुख्य पुजारी अशोक पंडित तथा मुख्य यजमान ऋषिकेश तिवारी रहे. काफी लोगों ने इसमें भाग लिया. समापन के बाद प्रसाद वितरण किया गया. मौके पर सरपंच संघ अध्यक्ष वरूण गोस्वामी, विजय कृष्ण उपाध्याय, लक्ष्मीकांत यादव मौजूद थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है