– नींद पूरा नहीं होने से बढ़ रही मानसिक व शारीरिक थकान, लोगों में तनाव, चिंता, गुस्सा, आत्महत्या जैसे आ रहे विचार
गौतम वेदपाणि, भागलपुर
मायागंज अस्पताल (जेएलएनएमसीएच) के मानसिक रोग विभाग में नींद नहीं आने की शिकायत लेकर दर्जनों मरीज पहुंच रहे हैं. ऐसे मरीज भागलपुर समेत आसपास के जिले के हैं. ओपीडी में ऐसे मरीजों के इलाज के दौरान मानसिक डिप्रेशन की भी शिकायत मिली. कई मरीज महीनों से ठीक तरीके से नहीं सो पाये हैं. ऐसे 50 प्रतिशत मरीजों में अवसाद के लक्षण भी मिल रहे हैं. मरीजों से डॉक्टरों की बातचीत में पता चल रहा है कि मरीज देररात तक मोबाइल देखता है. कई बार स्थिति और बिगड़ जाती है. जब मरीज पूरी रात जगा रह जाता है.
मामले पर जेएलएनएमसीएच के मानसिक रोग विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ एके भगत ने बताया कि मोबाइल समेत कंप्यूटर व टीवी के स्क्रिन से ब्लू लाइट निकलती है. रात में बिस्तर पर लेटकर मोबाइल देखने से यह आंख व मस्तिष्क को एक्टिवेट रखता है. टीवी व कंप्यूटर की तुलना में मोबाइल को हम अत्यंत निकट से देखते हैं. ऐसे में स्क्रीन से निकलने वाली नीली किरणें हमारे ब्रेन के सेरेब्रम को जगाकर रखता है. नींद पूरा नहीं होने से मानसिक व शारीरिक थकान बढ़ती है. इससे तनाव, चिंता, गुस्सा, आत्महत्या जैसे विचार उत्पन्न होने लगते हैं.
सोने से एक घंटा पहले बंद करें मोबाइल : मनोरोग विशेषज्ञ डॉ एके भगत के अनुसार रात में 10 बजे के बाद मोबाइल का प्रयोग न करें. सोने से एक घंटा पहले मोबाइल को हर हाल में बंद कर दें. आंखें बंदकर बिस्तर पर गहरी सांस लेने से मस्तिष्क को आराम मिलेगा. कम से कम सात घंटे सोने से मस्तिष्क व शरीर की क्रियाशीलता बढ़ेगी. अन्यथा भविष्य में कभी भी गंभीर रूप से बीमार पड़ सकते हैं. डॉ भगत बताते हैं कि अपने स्क्रीन टाइम को कम करने का प्रयास करें. किसी भी तरह के गैजेट का सकारात्मक उपयोग करें.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है