नवगछिया कोसी नदी की विकरालता व सरकारी उपेक्षा का दंश इस वर्ष भी रंगरा प्रखंड के तीन पंचायतों सधुआ चापर, मदरौनी और सहोड़ा के ग्रामीणों झेलना पड़ेगा. इस वर्ष भी लगभग 50 हजार ग्रामीण बाढ़ से प्रभावित होंगे. यह समस्या कोई नयी नहीं है. वर्ष 2010 में कोसी नदी के प्रचंड बहाव ने सहोड़ा गांव के पास रिंग बांध और रेलवे बांध को काट दिया था, लेकिन 15 वर्षों के बाद भी उस रिंग बांध की मरम्मत नहीं हो सकी है.
सरकार ने भेजा प्रस्ताव, स्वीकृति का इंतजार जारी
वर्ष 2024 में तत्कालीन भागलपुर डीएम ने इस मुद्दे को गंभीरता से ले जल संसाधन विभाग को प्रस्ताव भेजा था कि कटे रिंग बांध के लगभग एक किलोमीटर हिस्से का पुनर्निर्माण कराया जाए. अफसोस इस बात की यह है कि मुख्यालय से इस प्रस्ताव को अब तक मंजूरी नहीं मिली है. नतीजतन हर साल की तरह इस बार भी ग्रामीणों को बाढ़ के समय अपना घर-बार छोड़ ऊंची जगहों पर शरण लेनी पड़ेगी.रेलवे लाइन व स्टेशन बाढ़ के समय बनते आश्रय स्थल
सहोड़ा गांव के सैकड़ों बाढ़ पीड़ित रेलवे लाइन के किनारे तिरपाल तान कर रहते थे. सधुआ गांव के ग्रामीणों को कटरिया स्टेशन और रेलवे बांध पर शरण लेना पड़ता था. कीचड़, गंदगी और मच्छरों के बीच इन लोगों का जीवन नारकीय हो जाता था. बच्चों और बुजुर्गों की स्थिति सबसे ज्यादा दयनीय हो जाती थी. सबसे बड़ी समस्या आवागमन की है.जनप्रतिनिधि और प्रशासन मौन
ग्रामीणों का कहना है कि हर साल जनप्रतिनिधि और अधिकारी केवल आश्वासन देकर चले जाते हैं, लेकिन ठोस कदम नहीं उठाया जाता. रिंग बांध का निर्माण यदि समय पर हो जाता, तो बाढ़ का पानी गांवों में नहीं घुसता और लोग अपने घरों में सुरक्षित रहते.ग्रामीणों की मांग, अब नहीं तो कब
सधुआ चापर, मदरौनी, सहोड़ा गांव के ग्रामीण रिंग बांध बनाने की मांग कर रहे हैं. पूर्व प्रमुख पवन कुमार यादव, शमीम अख्तर, मनोज कुमार, अजय कुमार का कहना है कि जल्द से जल्द रिंग बांध के निर्माण को स्वीकृति दी जाए और कार्य आरंभ कराया जाए, ताकि उन्हें हर साल बाढ़ से होने वाली परेशानियों से निजात मिल सके.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है