जेएलएनएमसीएच के शिशु रोग विभाग में 3 व 4 जून 2025 को डॉक्टर मेंटरिंग प्रोग्राम के दूसरे चरण का सफल आयोजन किया गया. यह दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया व बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से शिशु रोग एवं प्रसूति विभागों के संयुक्त तत्वावधान में पूरा हुआ. इस कार्यक्रम का उद्देश्य जिला स्तर पर कार्यरत चिकित्सा पदाधिकारियों को मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं से संबंधित नवीनतम चिकित्सीय तकनीकों तथा व्यावहारिक दक्षताओं से सशक्त बनाना था. इस चरण में भागलपुर, मुंगेर और बांका जिलों के डॉक्टरों ने भाग लिया. कार्यक्रम में वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ एवं पीएमसीएच, पटना के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ (प्रो) एके जायसवाल ने नवजात पुनर्जीवन कार्यक्रम (एनआरपी) पर गहन चर्चा की. उन्होंने स्पष्ट किया कि यह प्रशिक्षण केवल डॉक्टरों तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि सभी प्रसव स्थलों पर कार्यरत नर्सिंग स्टाफ एवं स्वास्थ्यकर्मियों के लिए भी अनिवार्य है, जिससे नवजात मृत्यु दर में उल्लेखनीय गिरावट लायी जा सके. एम्स पटना की पूर्व विभागाध्यक्ष (प्रसूति एवं स्त्री रोग) डॉ हिमाली ने गर्भावस्था के दौरान जोखिम प्रबंधन और गुणवत्तापूर्ण प्रसवपूर्व देखभाल की महत्ता पर बल दिया. प्रशिक्षण सत्र में जेएलएनएमसीएच के शिशु रोग, स्त्री रोग एवं एनेस्थीसिया विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ अर्चना झा, डॉ शीला कुमारी, डॉ जितेन्द्र प्रसाद सिंह, डॉ सतीश कुमार, डॉ गणेश ने प्रतिभागियों को व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान किया. डॉ प्रमोद साह इस कार्यक्रम के समन्वयक के रूप में विशेष रूप से सक्रिय रहे. कार्यक्रम के समापन पर सभी प्रतिभागियों के बीच सहभागिता प्रमाणपत्र वितरित किये गये. शिशु रोग विभागाध्यक्ष एवं एसोसिएट प्रोफेसर डॉ अंकुर प्रियदर्शी ने कार्यक्रम की सफलता पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा, यह प्रशिक्षण सत्र हमारे चिकित्सा पदाधिकारियों को स्वास्थ्य प्रणाली की जमीनी चुनौतियों से बेहतर ढंग से निपटने के लिए तैयार करता है. मातृ-शिशु स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूती प्रदान करता है.
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