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bhagalpur news. कैंसरग्रस्त बेटी के चलते मांगा नजदीकी स्कूल में ट्रांसफर, भेजा वहां जहां न बस न ट्रेन

कैंसर जैसी असाध्य बीमारी से जूझ रही बेटी की देखभाल हो जाये और सरकार द्वारा सौंपे गये दायित्व भी ईमानदारी से निभा सके, इसके लिए एक शिक्षिका की उम्मीद तब जाग उठी, जब शिक्षा विभाग ने विशेष कारणों से ऐच्छिक स्थानांतरण कराने का मौका दिया.

संजीव झा, भागलपुर

कैंसर जैसी असाध्य बीमारी से जूझ रही बेटी की देखभाल हो जाये और सरकार द्वारा सौंपे गये दायित्व भी ईमानदारी से निभा सके, इसके लिए एक शिक्षिका की उम्मीद तब जाग उठी, जब शिक्षा विभाग ने विशेष कारणों से ऐच्छिक स्थानांतरण कराने का मौका दिया. शिक्षिका ने बेटी की गंभीर परेशानी का जिक्र करते हुए नजदीकी स्कूल में ट्रांसफर का आवेदन किया, लेकिन विभाग ने ऐसे स्कूल में उनका ट्रांसफर कर दिया, जहां जाने-आने के लिए ट्रेन या बस की सुविधा ही नहीं है. यही नहीं, शिक्षा विभाग ने ट्रांसफर के लिए 10 स्कूलों का नाम भी शिक्षकों से मांगा था. शिक्षिका ने दिया भी, लेकिन उन 10 स्कूलों में से किसी भी स्कूल का विकल्प न देकर कोई और स्कूल दे दिया. अब शिक्षिका को लग रहा है कि पीरपैंती के जिस स्कूल में पहले से थीं, वही बेहतर था. कम से कम वहां जाने के लिए ट्रेन की सुविधा तो थी.

क्या है मामला

विशिष्ट शिक्षिका सक्षमता -01 उत्तीर्ण लीना कुमारी बेसिक ग्रेड मध्य विद्यालय ओलापुर पीरपैंती में 14 मई 2005 से नियमित रूप से कार्यरत थी. वह भागलपुर नगर निगम क्षेत्र की निवासी हैं. विशेष कारणों से ऐच्छिक स्थानांतरण कराने के शिक्षा विभाग से मिले मौके के बाद लीना ने भी आवेदन किया. स्थानांतरण की मूल वजह बेटी का कैंसर से ग्रस्त होना बताया. उन्होंने जिस 10 स्कूलों का विकल्प भरा उसमें ट्रांसफर नहीं मिला. 30 जून 2025 को नवपदस्थापित विद्यालय बिहपुर, बिहपुर मध्य एमएस अनुसूचित जाति टोला विक्रमपुर में ट्रांसफर मिला.

बोलीं शिक्षिका : मां की पीड़ा कोई और क्या समझे

फोटो : लीना कुमारी

जब मेरी 15 वर्षीय बेटी को वर्ष 2017 में कैंसर होने का पता चला, तो पूरा परिवार सदमे में आ गया था. टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल मुंबई से उसका अब तक इलाज चल रहा है. 24 घंटे उसका ख्याल रखना पड़ता है. इसके अलावा घर में बूढ़ी सास, पति और दो बच्चे भी हैं. उम्मीद थी कि शिक्षा विभाग द्वारा मांगे गये विकल्प वाले स्कूल में तबादला मिलेगा, लेकिन ऐस नहीं हुआ. अब सोचना पड़ रहा है कि इतनी जिम्मेदारी का निर्वहन कैसे होगा. जिला शिक्षा पदाधिकारी को आवेदन दी हूं. उम्मीद है कि पुनर्विचार किया जायेगा.

कोट :

इस पर हमलोग बयान नहीं देते हैं. यहां तो हजारों शिक्षकों का मामला प्रपोज्ड है. इसलिए हम कुछ नहीं बता सकते.

– राजकुमार शर्मा, डीईओ, भागलपुर

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