– 50 मंजूषा कलाकारों के साथ भागलपुर संग्रहालय अध्यक्ष डॉ सुधीर कुमार यादव ने की बैठक और लिया निर्णय
वरीय संवाददाता, भागलपुर
भागलपुर संग्रहालय, भागलपुर के तत्वावधान में मंजूषा कला पर आधारित सात दिवसीय कार्यशाला का 15 से 21 जुलाई तक आयोजन होगा. इसे लेकर शुक्रवार को भागलपुर संग्रहालय अध्यक्ष डॉ सुधीर कुमार यादव की अध्यक्षता में मंजूषा कलाकारों की बैठक हुई. इसमें राज्य पुरस्कार प्राप्त कुल 10 कलाकारों समेत 50 नामचीन कलाकार शामिल हुए. संग्रहालयाध्यक्ष डॉ सुधीर कुमार यादव ने बताया कि मंजूषा कला मुख्यतः बिहार के भागलपुर एवं उसके समीपवर्ती क्षेत्रों की लोकचित्र कला है, जो वहां की चर्चित लोक गाथा बिहुला विषहरी पर आधारित है. सती बिहुला सारी बाधाओं को पार कर अपने जीवन को सफल बनायी थी. यह चित्रकला नारी सशक्तीकरण का भी प्रतीक है. एक नारी का जीवन मृत्यु सामाजिक प्रतिष्ठा के लिए संघर्ष की गाथा-कथा का सांगोपान चित्रण ही मंजूषा कला का अर्थ है.एक सप्ताह तक चलेगा मंजूषा कला पर आधारित कार्यशाला
भागलुपर, नवगछिया, नाथनगर, सबौर, जगदीशपुर, शाहपुर और आसपास की गांव की सैकड़ों महिलाओं ने इसे व्यवसाय के तौर पर अपना लिया है. उनके द्वारा निर्मित मंजूषा उत्पाद एवं परिधान भागलपुर, दिल्ली एवं पटना के बाजारों में भी दिखने लगे हैं. डॉ यादव ने बताया कि मंजूषा कला पर आधारित कार्यशाला भागलपुर संग्रहालय, भागलपुर सभागार में 15 जुलाई को शुरू होगा, जो कि एक सप्ताह चलेगा. कार्यशाला के उपरांत मंजूषा कलाकारों द्वारा निर्मित उत्पादों को भागलपुर संग्रहालय, भागलपुर के एक दीर्घा में मंजूषा कला दीर्घा के रूप में प्रदर्शित किया जायेगा. निर्मित मंजूषा कलाकृतियों को स्थायी रूप से दीर्घा में प्रदर्शित कर देने से क्षेत्रीय लोगों को अपनी पारंपरिक लोककला (मंजूषा कला) की महत्व से अपनी सभी संस्कृति एवं संस्कार के भाव को समझने का अवसर मिलेगा. कार्यशाला का उद्घाटन कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के मंत्री मोती लाल प्रसाद करेंगे. अतिविशिष्ट अतिथि के रूप में विभागीय सचिव प्रणव कुमार, संग्रहालय निदेशक रचना पाटिल, प्रमंडलीय आयुक्त, डीएम शामिल होंगे. इसे लेकर तैयारी शुरू हो गयी है. कार्यक्रम से मंजूषा कला को एक नयी पहचान मिलेगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है