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bhagalpur news. पीजीडीसीए में नामांकन की सूचना जारी करने के मामले में दो कर्मियों को शोकॉज

टीएमबीयू के पीजी बॉटनी विभाग स्थित बायोइनफॉर्मेटिक्स सेंटर में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन कंप्यूटर एप्लीकेशन (पीजीडीसीए) में नामांकन की सूचना बिना अनुमति जारी करने मामले में विवि प्रशासन ने कार्रवाई शुरू कर दी है.

टीएमबीयू के पीजी बॉटनी विभाग स्थित बायोइनफॉर्मेटिक्स सेंटर में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन कंप्यूटर एप्लीकेशन (पीजीडीसीए) में नामांकन की सूचना बिना अनुमति जारी करने मामले में विवि प्रशासन ने कार्रवाई शुरू कर दी है. इस बाबत सेंटर के सूचना पदाधिकारी डॉ राकेश रंजन व सूचना को विवि की वेबसाइट पर अपलोड करने में शामिल यूडीसीए संविदाकर्मी लैब ब्वॉय कामेश कुमार गुप्ता को शोकॉज किया है. साथ ही दोनों को संबंधित संस्थान में प्रवेश पर रोक लगा दिया है. कुलपति प्रो जवाहर लाल के आदेश पर रजिस्ट्रार प्रो रामाशीष पूर्वे ने रविवार को नोटिस जारी किया है.

शोकॉज में सूचना पदाधिकारी से कहा गया कि बिना कोर्स निदेशक व विवि प्रशासन से बिना अनुमति नामांकन की सूचना जारी कर दी. साथ ही सूचना निकालने व विज्ञापन के लिए निदेशक, यूडीसीए को विवि के वेबसाइट पर सूचना अपलोड करने के लिए पत्र भेज दिया, जो पूरी तरह गैर कानूनी है. मामले को लेकर एक दिन पहले रविवार को ऑनलाइन आपात बैठक हुई, जिसमें निर्णय लिया गया कि सेंटर के सूचना पदाधिकारी को तत्काल प्रभाव से कार्यों के निष्पादन व कार्यालय में प्रवेश पर रोक लगा दिया गया. दूसरी तरफ यूडीसीए की वेबसाइट पर सूचना अपडेट करने के मामले में कर्मी कामेश पर आरोप है कि उन्होंने बिना विवि के अनुमति नामांकन विज्ञापन अपलोड किया है. जबकि यूडीसीए के निदेशक को इसकी 30 जून को जानकारी दी गयी. उन्होंने तत्काल सूचना हटाने का निर्देश दिया था, लेकिन इसका पालन नहीं किया गया, जो गैरकानूनी है. यह सूचना 13 जुलाई को विवि की वेबसाइट से हटाया गया है. वहीं, कुलपति ने छात्र-छात्राओं से आवेदन नहीं करने की अपील की है.

नामांकन संबंधित सूचना विवि के सभी पदाधिकारी को दी गयी

सेंटर के सूचना पदाधिकारी डॉ राकेश रंजन ने कहा कि सेंटर के सभी कर्मचारियों की सहमति व कोर्स निदेशक के मौखिक सहमति के बाद ही सूचना डीएसडब्ल्यू, सीसीडीसी, रजिस्ट्रार सहित यूडीसीए के निदेशक को भेजी गयी थी. उनसे अनुरोध किया गया था कि सूचना को विवि के वेबसाइट पर अपलोड किया जाये. इसमें विज्ञापन संबंधित कोई सूचना नहीं दी गयी थी. कहा कि मामला 30 जून का है. फिर 13 जुलाई को कार्रवाई की जा रही है. कहा कि गलत काम किये हैं, तो कोर्स निदेशक को तुंरत कार्रवाई करनी चाहिए. जबकि कोर्स निदेशक छुट्टी के बाद चार जुलाई को मुख्यालय में थे. उनकी तरफ से गलत कार्य नहीं किये गये हें. निदेशक को सारी जानकारी देते हुए ही नामांकन संबंधित सूचना जारी की गयी थी. सेंटर के नोटिस बोर्ड पर सूचना चिपकाया गया था. कहा कि पूर्व के निदेशक द्वारा भी नामांकन संबंधित सूचना विवि को उपलब्ध करायी जाती रही है. विवि से इसके लिए मंजूरी नहीं ली जाती थी. उसी आधार पर इस बार भी सूचना दी गयी.

सभी कर्मी सूचना पदाधिकारी के समर्थन में आये

बायोइनफॉर्मेटिक्स सेंटर के सभी कर्मी सूचना पदाधिकारी के समर्थन में आगे आये हैं. सोमवार को विवि के कुलपति कार्यालय में आवेदन दिया है. कहा कि सेंटर के सभी कर्मी के सहमति के बाद ही सूचना पदाधिकारी ने नामांकन संबंधित सूचना दिया है. ऐसे में केवल सूचना पदाधिकारी अकेले दोषी नहीं है. सभी इस कार्य के लिए दोषी है. कर्मियों ने कहा कि 23 जून को कोर्स निदेशक 10 दिनों के लिए छुट्टी पर गये थे. इस बाबत निदेशक ने सूचना पदाधिकारी को प्रभार देकर कहा था कि आपलोग अपने स्तर से पीजीडीसीए में नामांकन के संबंध में निर्णय लेकर विवि को सूचित कर दें. निदेशक प्रो एचके चौरसिया के मौखिक सहमति के बाद ही 30 जून को सेंटर के सभी कर्मियों की सहमति के बाद नामांकन संबंधित सूचना जारी की गयी.

नामांकन के लिए आवेदन करने आये छात्र लौटे

सोमवार को बायोइनफॉर्मेटिक्स सेंटर में कई छात्र-छात्राएं पीजीडीसीए में नामांकन को लेकर आवेदन करने पहुंचे थे, लेकिन सेंटर में उनलोगों से आवेदन नहीं लिया गया. छात्रों ने बताया कि सेंटर के कर्मियों ने कहा कि विवि प्रशासन के आदेश पर नामांकन संबंधित प्रक्रिया पर रोक है. ऐसे में आवेदन नहीं लिया जायेगा.

रोजगारपरक कोर्स बंद नहीं होने चाहिए : पूर्व कुलपति

टीएमबीयू के पूर्व कुलपति प्रो एके राय ने कहा कि छात्रहित को देखते हुए रोजगारपरक कोर्स बंद नहीं होना चाहिए. ऐसे कोर्स चलते रहना चाहिए. एक समय में विवि में कई रोजगारपरक कोर्स संचालित हुआ करते थे. इससे विवि के विद्यार्थियों को लाभ मिलता था.

पुराने कोर्स को बंद होने से बचाये – पूर्व कुलपति

टीएमबीयू के पूर्व प्रभारी कुलपति प्रो एलसी साहा ने कहा कि वर्तमान समय में रोजगारपरक नया कोर्स खोलना मुश्किल है, लेकिन जो पूर्व से संचालित किया जा रहा है. उसे बंद होने से बचाया जाये. छात्रहित को देखते हुए विवि प्रशासन को इस दिशा में गंभीरता से कार्य करने की जरूरत है.

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