रेनकट का पुराना खेल : स्थायी समाधान की फाइल लटका कर, मरम्मत पर पैसे की बर्बादी
वरीय संवाददाता, भागलपुर
विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेले में पैदल बाबाधाम जाने वाले लाखों कांवरियों की राह आसान करने के लिए इस बार भी मुख्यालय की ओर से पथ की मरम्मत के लिए 36 करोड़ की योजना को स्वीकृति मिल गयी है. हास्यास्पद यह है कि कांवरिया पथ में रेनकट के स्थायी समाधान को लेकर महज 16 करोड़ की योजना की फाइल पर विभाग कुंडली मारे बैठा है. इस फाइल में सीटिंग प्लेटफॉर्म सहित वॉल कंस्ट्रक्शन कार्य भी शामिल है.यह हाल सिर्फ इस वर्ष की नहीं है, यह खेल हर बार श्रावणी मेला से पूर्व चलता है. इस बार भी कच्ची कांवरिया पथ कांवरियों के पैदल चलने लायक बना कर तैयार किया जायेगा. आरडीसी की ओर से मुख्यालय को भेजी गयी फाइल पर मुहर लग गयी है. ठेका एजेंसी काम करेगी. एजेंसी सुल्तानगंज से डुम्मा (झारखंड बॉर्डर तक) किमी 0.70 से किमी 83.35 के बीच रेन कट रिपेयरिंग, गंगा बालू बिछाने और पानी का छिड़काव सहित अन्य जरूरी कार्य सुनिश्चित करेगी. इस पहल से पैदल बाबाधाम जाने वाले कांवरियों को बड़ी राहत मिलेगी. इस रास्ते को कांवरियों के लिए आरामदायक बनाया जाएगा. उम्मीद है कि समय रहते सभी काम पूरे हो जाएंगे, ताकि कांवरियों को सुरक्षित और आरामदायक मार्ग मिल सके.ठेका एजेंसी को 45 दिनों में करना होगा निर्माण का काम
कच्ची कांवरिया पथ को कांवरियों के पैदल चलने लायक बनाने के लिए आरसीडी, बांका 36.05 करोड़ खर्च करेगा. ठेका एजेंसी को 45 दिन में निर्माण कराना होगा और उसके बाद तीन महीने में एक माह निर्माण व दो माह रखरखाव करेगा. इसके अलावा मलेमास में चार माह में एक माह निर्माण एवं तीन माह रखरखाव करना अनिवार्य होगा.05 जून को खुलेगा निविदा का तकनीकी बिड
काम के लिए आरसीडी बांका ने निविदा जारी किया है. तकनीकी बिड पांच जून को खोला जायेगा. वहीं, फाइनेंशियल बिड खोल कर ठेका एजेंसी चयनित की जायेगी. टेंडर भरने की अंतिम तिथ 02 जून है. चयनित एजेंसी के लिए मलेमास में भी काम करना अनिवार्य होगा.बारिश और हवा में उठ जाता है बालू, पांच साल में 180 करोड़ हुए खर्च
कच्ची कांवरिया पथ के लिए हर साल बालू बिछायी जाती है लेकिन यह बालू टिकता नहीं है. बारिश और हवा में बालू उड़ जाता है. फिर नये सिरे से बालू बिछाया जाता है. इस बार भी बालू बिछेगा लेकिन अगले साल दिखेगा या नहीं यह निश्चित नहीं है. पांच वर्षों में आरसीडी बालू और पानी छिड़काव पर 180 करोड़ खर्च कर चुकी है लेकिन स्थायी निदान नहीं निकाल सका है.स्थायी समाधान के बजाय करोड़ों की बर्बादी
श्रावणी मेले से पहले कच्ची कांवरिया पथ की मरम्मत पर हर साल करोड़ों खर्च हो रहे हैं, लेकिन पथ निर्माण विभाग स्थायी समाधान पर ध्यान नहीं दे रहा. विभाग रैन कट (बारिश से बने गड्ढे) से बचाने की स्थायी कार्य योजना पर कुंडली मारे बैठा है.एक बार फिर, रैन कट की मरम्मत के लिए नयी योजना बनी है और उसे मंजूरी भी मिल गयी है. यह तब है जब भागलपुर से 16 करोड़ रुपये की लागत से रैन कट के स्थायी समाधान का प्रस्ताव भेजा जा चुका है. विभाग हर साल अस्थायी मरम्मत पर पैसा बहा रहा है, जबकि ठोस योजना को लटकाये रखा गया है, जिससे सरकारी खजाने को करोड़ों का चूना लग रहा है. यह दिखाता है कि विभाग दूरगामी सोच के बजाय तात्कालिक समाधान पर ही निर्भर है. 16 करोड़ की फाइल में सीटिंग प्लेटफॉर्म सहित वॉल कंस्ट्रक्शन कार्य शामिल है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है