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सीताराम येचुरी 1989 के दंगों के बाद आए थे भागलपुर, सौहार्द बनाए रखने के लिए किए थे कई कार्यक्रम

वामपंथ के ध्वजवाहक, सीपीआई(एम) महासचिव कॉमरेड सीताराम येचुरी का गुरुवार को निधन हो गया. उनके निधन से राजनीतिक गलियारों में शोक की लहर दौड़ गई है. अपने जीवनकाल में उन्होंने जनसेवा के लिए कई काम किए. इसके लिए उनका भागलपुर आना भी होता था. भागलपुर से दीपक राव की इस रिपोर्ट में जानिए भागलपुर से जुड़ी उनसे जुड़ी कहानियां...

माकपा के राष्ट्रीय महासचिव सीताराम येचुरी का भागलपुर कई बार आना-जाना हुआ था. खासकर अक्टूबर 1989 में हुए दंगे के बाद सांप्रदायिक सौहार्द कायम करने के लिए भागलपुर के बुद्धिजीवियों के बुलावे पर आये थे. बुद्धिजीवियों के साथ बैठक कर सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए अलग-अलग कार्यक्रम व रणनीति बनायी थी, ताकि भविष्य में ऐसी घटना की पुनरावृत्ति नहीं हो. वरिष्ठ संस्कृतिकर्मी और दिशा जन सांस्कृतिक मंच के संयोजक प्रो चंद्रेश ने शोक जताते हुए बताया कि 1999 के लोकसभा चुनाव में मुख्य वक्ता के रूप में आये और आदमपुर चौक के समीप भारत की कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्सवादी के कार्यालय पहुंचे थे. वहीं से लगातार कैंपेनिंग की थी. जब भी भागलपुर से उन्हें बुलावा भेजा गया, वे तुरंत आ गये. खासकर बुद्धिजीवी वर्ग के बीच काफी लोकप्रिय रहे.

डेमोक्रेटिक टीचर्स फोरम की स्थापना

भागलपुर में अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के पुराने व लोकप्रिय नेता विजेंद्र नारायण सिंह उर्फ बीजो दा, उनकी धर्मपत्नी सरिता सिन्हा से सीताराम येचुरी से पारिवारिक संबंध रहा. इसलिए जब भी भागलपुर आये, तो उनसे मिले बिना नहीं जाते. भुस्टा के महासचिव प्रो अरुण सिन्हा, प्रो चंद्रेश व प्रो यूके मिश्रा सीताराम येचुरी से काफी प्रभावित थे. 90 के दशक में ही प्रेरित होकर ही डेमोक्रेटिक टीचर्स फोरम की स्थापना की. उनके मार्गदर्शन में सेमिनार का शुभारंभ हुआ.

वामपंथी नेताओं में शोक की लहर

सीताराम येचुरी के निधन पर भाकपा–माले ने गहरा दुख व्यक्त किया. भाकपा–माले के नगर प्रभारी व एक्टू के राज्य सचिव मुकेश मुक्त ने कहा कि सीताराम येचुरी का निधन वाम जनवादी आंदोलन की अपूरणीय क्षति है. इस भारी आघात की घड़ी में भाकपा माले, माकपा परिवार के साथ है. हम अपनी पार्टी की ओर से कॉमरेड सीताराम येचुरी को भावभीनी श्रद्धांजलि व लाल सलाम पेश करते हैं.

माकपा के जिला प्रभारी दशरथ प्रसाद, डीवाइएफआइ के नेता मनोज गुप्ता, मनोहर मंडल, मो फैज आदि ने भी शोक व्यक्त करते हुए कहा कि सीताराम येचुरी के निधन से पार्टी की बड़ी क्षति हुई. सीताराम येचुरी ने हाल ही में मोतियाबिंद की सर्जरी करवाई थी. साल 1975 में बतौर छात्र नेता उन्होंने इमरजेंसी का विरोध किया था. इसके लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा था. वे जीवनपर्यंत मार्क्सवादी रहे. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य परिषद सदस्य डॉ सुधीर शर्मा, पूर्व एमएलसी संजय कुमार आदि ने भी शोक व्यक्त किया.

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दक्षिण भारत के रहने वाले वामपंथी नेता सीताराम येचुरी हिंदीभाषी क्षेत्र में थे लोकप्रिय

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के बिहार राज्य कार्यकारिणी के सदस्य डॉ सुधीर शर्मा ने गहरा शोक व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि सीताराम येचुरी भारतीय राजनीति के प्रमुख हस्ताक्षर थे. येचुरी मूलत: दक्षिण भारत के रहने वाले थे, लेकिन वे हिंदीभाषी क्षेत्र में लोकप्रिय थे. उन्होंने अपने जीवन में कई महत्वपूर्ण आंदोलन का नेतृत्व किया.

इस वीडियो को भी देखें: सीताराम येचुरी के निधन पर राहुल गांधी ने जताया दुख

Anand Shekhar
Anand Shekhar
Dedicated digital media journalist with more than 2 years of experience in Bihar. Started journey of journalism from Prabhat Khabar and currently working as Content Writer.

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