टीएमबीयू के पीजी बायोइनफॉर्मेटिक्स विभाग के एक कर्मी द्वारा कुलपति और कोर्स डायरेक्टर की अनुमति के बगैर सत्र 2025-2026 के लिए पीजीडीसीए कोर्स के लिए नामांकन संबंधी शेड्यूल जारी करने का मामला गरमा गया है. कुलपति प्रो जवाहर लाल ने सख्ती दिखाते हुए अधिकारियों की आपात ऑनलाइन बैठक कर विज्ञापन और सूचना जारी करने वाले विभाग के राकेश रंजन को अगले आदेश तक काम और विभाग में प्रवेश से वंचित करने का आदेश रजिस्ट्रार को दिया है. साथ ही उन्होंने छात्रों से अपील की है कि वह बायोइनफॉर्मेटिक्स विभाग की ओर से कुलपति की अनुमति के बिना पीजीडीसीए कोर्स में नामांकन के लिए निकाले गये विज्ञापन व सूचना पर आवेदन नहीं करें और न ही इसके झांसे में आये. क्योकि नामांकन संबंधी संचिका पर कुलपति का आदेश प्राप्त नहीं है. ऑनलाइन बैठक में डीएसडब्ल्यू प्रो विजेंद्र कुमार, रजिस्ट्रार प्रो रामाशीष पूर्वे, प्रॉक्टर प्रो अर्चना कुमारी साह, प्रो निसार अहमद, डॉ एसी घोष, पीआरओ डॉ दीपक कुमार दिनकर आदि शामिल हुए. डायरेक्टर के आदेश की भी अवहेलना
कुलपति ने कहा कि बिना अनुमति के पीजीडीसीए में नामांकन का विज्ञापन व सूचना जारी करना उक्त कर्मी की अनुशासनहीनता व मनमानी को दर्शाता है. राकेश ने विभाग के डायरेक्टर के आदेश की भी अवहेलना किया है. निदेशक ने नामांकन संबंधी पत्र में स्पष्ट लिखा था की विश्वविद्यालय की स्वीकृति के उपरांत ही इसे प्रकाशित किया जाना चाहिए. कर्मी ने उस सूचना को बिना अनुमति के विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर भी अपलोड करवा दिया. गलत तरीके से निकाले गए विज्ञापन में नामांकन की अंतिम तिथि 31 जुलाई लिखा गया है. जब मामला प्रकाश में आया तो यूडीसीए के डायरेक्टर प्रो निसार अहमद ने मामले में उक्त कर्मी से तुरंत स्पष्टीकरण भी पूछा. हालांकि, जवाब अब तक नहीं दिया गया है. कुलपति ने दोषी पाए गए कर्मी राकेश रंजन के अलावे नोटिस को सर्कुलेट करने वाले दूसरे कर्मी पर भी कार्रवाई करने के आदेश दिया है. वीसी ने फाइल की भी जांच करने का भी आदेश दिया है.
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