पूर्व व मौजूदा उपमुख्यमंत्री कर चुके हैं समाधान की घोषणा
आध्यात्मिक केंद्र महर्षि मेंहीं आश्रम कुप्पाघाट के पश्चिमी द्वार संपर्क पथ पर बारिश शुरू होने के साथ धंसान शुरू हो गया है. पिछले साल गंगा में बाढ़ के दौरान संपर्क पथ क्षतिग्रस्त हो गया था. विभाग ने दूसरे दिन खानापूर्ति के रूप में पॉलीथिन सीट लगायी थी, फिर अनदेखी कर दी गयी. फिर शुरू हुए धंसान से आश्रम के संत, संन्यासी व महासभा के पदाधिकारी भयभीत हैं. आश्रम के व्यवस्थापक अजय जायसवाल ने बताया कि इस सीजन में अब तक कोई विभागीय पदाधिकारी नहीं पहुंचे, जबकि 2022 में तत्कालीन उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने कुप्पाघाट आश्रम की समस्या समाधान की बात कही थी. इस साल भी वर्तमान उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने गंगा तट पर सीढ़ी बनाकर गंगा कटाव रोकने और कुप्पाघाट आश्रम के गंगा किनारे के हिस्से को सुरक्षित करने की घोषणा की है. इसके एक माह बाद तक कोई संज्ञान नहीं लिया गया.अखिल भारतीय संतमत सत्संग महासभा के महामंत्री दिव्य प्रकाश एवं रमेश बाबा ने कहा कि जब क्षतिग्रस्त हुआ था, तो जल संसाधन विभाग एवं खनन विभाग के पदाधिकारी पहुंचे थे. थोड़ी बहुत व्यवस्था करके पानी घटने पर बेहतर व्यवस्था करने का आश्वासन देकर लौट गये थे.
2007 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आये थे आश्रम और बनवाया था पुल
आश्रम के पंकज बाबा ने बताया कि इस पुल को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2007 में कुप्पाघाट आश्रम आगमन के बाद बनवाया था. उन्होंने बताया कि गंगा में जलस्तर बढ़ने से कुप्पाघाट आश्रम के पूर्वी व पश्चिमी छोर पर कटाव होता रहा है. इससे पहले आश्रम के गंगा किनारे के क्षेत्र में कटाव रोकने के लिए अधूरा निर्माण कार्य हुआ है.
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