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bhagalpur news.जाति व संप्रदाय से पहचान बनती है, तो ऐसी शिक्षा का कोई मतलब नहीं : राज्यपाल

राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा प्राप्त करने के बाद भी अगर जाति व संप्रदाय से पहचान बनती है, तो ऐसी शिक्षा का कोई मतलब नहीं रह जाता है

भागलपुर

राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा प्राप्त करने के बाद भी अगर जाति व संप्रदाय से पहचान बनती है, तो ऐसी शिक्षा का कोई मतलब नहीं रह जाता है. हम सब की एक ही मानवता जाति है. शिक्षा यहां तक नहीं है. आप नये ज्ञान को भी अर्जित करें. विद्यार्थियों से कहा कि आपको उपाधि प्राप्त हुई है. बहुत से छात्र-छात्राओं को उनके विशेष उपलब्धियों के लिए पदक से सम्मानित किया गया है. आपके अभिभावकों, गुरुओं व खासतौर से मां-पिता को बधाई देता हूं. आपको डिग्री के रूप में जैसे पक्षी के बच्चे होते है. बच्चे उस समय तक घोंसले में रहते हैं, जबतक पंख पूरी तरह विकसित नहीं हो जाते. उसके बाद वह खुला आसमान में नहीं उड़ते. उसी तरह डिग्री लेने के बाद आप व्यावहारिक जीवन में प्रवेश करने वाले हैं. अब आपके लिए खुला मैदान है. आप खूब सफल हो, आपकी उपलब्धियां हो. आप अपने परिवार व समाज के लिए हितकारी कार्य करें. समाज के एक अच्छे नागरिक बने. भारतीय संस्कृति में ज्ञान की संस्कृति है. पूरी दुनिया में इसकी पहचान है. इस संस्कृति में ज्ञान की उद्देश्य को बताया गया है. एक जन्म मां-बाप से हमारा होता है, दूसरा शिक्षा व ज्ञान के माध्यम से होता है. छोटे बच्चे के रूप में हमारी संवेदनशीलता व करुणा उसका दायरा सीमित होता है, लेकिन ज्ञान अर्जित करने के बाद पता चलता है कि केवल जिन्होंने हमें जन्म दिया है, हमारे विस्तारित परिवार केवल वह ही नहीं. बल्कि हमारी करुणा सब के प्रति मानवता व जीव के प्रति विस्तारित होनी चाहिए. हमारी संस्कृति आत्मा से परिभाषित है. कहा कि शिक्षा का उद्देश्य है कि आप सबों के प्रति करुणा से पेश आये. सभी के प्रति आदर, सम्मान व अपनापन का भाव पैदा करे. भारतीय परंपरा मानती है कि जिस क्षेत्र में आप ज्ञान अर्जित करेंगे, आप जब आत्मज्ञान करेंगे, तो परमात्मा की तरफ ही जायेंगे. हम सब के अंदर परमात्मा आत्मा के रूप में वास करती है. हम सब रिश्तेदार हो या न ही. परमात्मा से जुड़े हाेने के कारण करुणा व दया का भाव जागृत होता है. शिक्षा प्राप्त करने के बाद नौकरी की तरफ भागते हैं. ऐसा नहीं है आप खुद का रोजगार शुरू करे. दूसरों को भी रोजगार देने वाला बने. कुलाधिपति ने कहा कि भारतीय परंपरा हमें बताती है कि जीवन कैसे जीये जाये. कुलाधिपति ने कहा कि जिस क्षेत्र में भी काम करे. पूरे सर्मपन, सादगी व विनम्रता के साथ सेवा स्वीकार करे. जब आपके भाव सही होंगे, तो गलत काम नहीं करेंगे.

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