= ग्रामीणों का है आरोप, घनी आबादी को छोड़ खेतिहर जमीन बचाने में लगे रहे ठेकेदार
प्रतिनिधि, सबौर
गंगा अब अपना रौद्र रूप दिखाना शुरू कर चुकी है. प्रखंड के ममलखा पंचायत के चायचक में गंगा का पानी प्रवेश कर चुका है. मंगलवार की देर रात गंगा के तेज बहाव में पीसीसी सड़क, पीपल का विशाल पेड़ और पेड़ के पास बना बजरंगबली मंदिर भी गंगा में समा गया. इस दृश्य को देख ग्रामीणों में दहशत का माहौल है. शंकरपुर पंचायत के पूर्व मुखिया राजेश मंडल ने बताया कि ठेकेदार द्वारा यदि कालीघाट बजरंगबली मंदिर के पास से कटावरोधी काम शुरू किया जाता, तो यह दृश्य आज देखने को नहीं मिलता. पूर्व मुखिया का कहना है कि चायचक गांव में पानी घुसने का मतलब है कि शंकरपुर पंचायत के गांवों को भी अब गंगा से खतरा है. ठेकेदार ने घनी आबादी वाले क्षेत्र को छोड़ कर खेतिहर स्थल के पास बोरे में मिट्टी-बालू भर कर कटावरोधी कार्य शुरू किया. वह भी गंगा के तेज बहाव में धीरे-धीरे बह गया है.पूर्व जनप्रतिनिधियों ने कटावरोधी कार्य करवा रहे ठेकेदार पर लगाया अनदेखी का आरोपममलखा पंचायत के पूर्व मुखिया मृत्युंजय कुमार मंडल ने भी कहा कि ठेकेदार द्वारा यदि पहले से ही काली घाट बजरंगबली स्थान के पास कटावरोधी काम शुरू किया जाता, तो मंदिर और विशाल पेड़ को बचाया जा सकता था. यह घनी आबादी का क्षेत्र है. गंगा का तेज प्रवाह चायचक गांव में प्रवेश कर चुका है. ग्रामीणों में काफी भय का माहौल व्याप्त है. पिछले साल के कटाव पीड़ितों को अब तक सरकार की तरफ से मुआवजा भी नहीं मिला है. कई ग्रामीण अपने घर से ऊंचे स्थलों की ओर अपना ठिकाना ढूंढने की तलाश में है. ममलखा के मुखिया अभिषेक अर्णव ने बताया कि अधिकारियों द्वारा सख्त निर्देश दिया गया है कि किसी भी हालत में कटाव को रोकने का हर संभव प्रयास किया जाये. समाजसेवी आशीष मंडल ने भी अनशन में जिला प्रशासन से मांग की है कि बाबूपुर, रजंदीपुर, घोषपुर, फरका, इंग्लिश, मसाड़ू चायचक, शंकरपुर तक रिंग बांध का निर्माण करवाया जाये.
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