दो जुलाई को मुख्तारखाना परिसर में एक विशालकाय अशोक का पेड़ गिर गया. इस घटना में अधिवक्ता व मुवक्किल समेत कई बच्चे बाल-बाल बच गये. पेड़ गिरने से अब परिसर में आवागमन भी बाधित हो गया है. मुख्तारखाना के महासचिव मुरारी कुमार चटर्जी ने बताया कि परिसर में समस्याओं का भंडार है. टेबल के पास कूड़े का ढेर लगा हुआ है. कचहरी कार्य से आने वाले लोग खुले में पेशाब करते हैं. पूरे परिसर में दुर्गंध फैल जाती है. वकीलों सहित अन्य लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. इस बाबत नगर निगम को तीन मार्च को ही आवेदन देकर अवगत कराया गया था, परंतु अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है और न ही कूड़ा उठाया गया है. जब महासचिव द्वारा नगर निगम से इस विषय पर सूचना मांगी गई, तो कोई जवाब नहीं मिला. यह प्रशासन की लापरवाही को दर्शाता है. बदबू के कारण कई अधिवक्ता बीमार हो चुके हैं. सरकार द्वारा चलाया जा रहा स्वच्छता अभियान इस स्थिति में एक मजाक बनकर रह गया है. इधर, इस स्थिति से आक्रोशित होकर अधिवक्ता निशित कुमार मिश्रा, विजय कुमार सिंह, बासुकीनाथ पांडेय, मदन मोहन झा, श्वेता शुक्ला, राजेश कुमार, अशोक कुमार शर्मा आदि ने कहा कि नगर निगम की उदासीनता से सभी दुखी हैं. अगर जल्द समाधान नहीं हुआ, तो उन्हें धरना-प्रदर्शन के लिए बाध्य होना पड़ेगा.
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