भागलपुर
ट्रैक को पूरी तरह ऑटोमेटेड किया गया है, जिससे अब ड्राइविंग लाइसेंस के लिए सिफारिश और बहानों का दौर खत्म होने वाला है. ट्रायल के दौरान उपकरणों की जांच के बाद एक रिपोर्ट तैयार की जाएगी. संभावना है कि जून से ट्रैक पर ऑटोमेटिक टेस्टिंग प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. फिलहाल ट्रैक के चारों ओर उगी झाड़ियों की सफाई कराई जा रही है. तकनीकी उपकरणों की जांच भी अंतिम चरण में है. हालांकि, ट्रैक की चाहारदीवारी का निर्माण कार्य अब तक अधूरा है. इसके लिए भवन निर्माण विभाग से एस्टीमेट बनवाकर मुख्यालय भेजा गया है. अभी ट्रैक पूरी तरह खुला है, जहां जानवरों और असामाजिक तत्वों का बेरोकटोक आना-जाना रहता है. इसे लेकर एक गार्ड की तैनाती की गई है. ड्राइविंग टेस्टिंग प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए ट्रैक पर अत्याधुनिक कैमरे लगाए गए हैं. आवेदक के प्रदर्शन की पूरी रिपोर्ट ऑनलाइन तैयार होगी. हर टेस्ट के लिए तय किए गए नंबर के आधार पर कंप्यूटर बताएगा कि उम्मीदवार पास है या फेल. मोटरयान निरीक्षक (एमवीआई) एसएस मिश्रा ने बताया कि अब ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक पर सफल होना है तो ड्राइविंग में वास्तविक दक्षता होनी चाहिए. आवेदन करने से पहले यह समझना जरूरी है कि टेस्ट के दौरान हर कदम पर कंप्यूटर की नजर रहेगी.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है