बीएयू सबौर के ऑडिटोरियम हॉल में शनिवार को प्रसार शिक्षा परिषद की बैठक हुई. इसकी अध्यक्षता कुलपति डॉ डीआर सिंह ने की. इस अवसर पर देश के जाने-माने कृषि वैज्ञानिक, प्रगतिशील किसान, विषय विशेषज्ञ एवं कृषि विज्ञान केंद्र के प्रतिनिधियों की गरिमामयी उपस्थिति रही. विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ आरके सुहाने ने स्वागत भाषण के साथ बैठक शुरू की. कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित फसलों की किस्म आज बिहार ही नहीं पूरे देश में किसानों के खेतों की शोभा बढ़ा रही है. कहा कि बीज उत्पादन में किसानों की भागीदारी अत्यंत आवश्यक है, ताकि प्रौद्योगिकी का लाभ सीधे खेतों तक पहुंचे. कैंपस टू कम्युनिटी की अवधारणा को रेखांकित करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय में विकसित सभी तकनीक और शोध किसानों के जीवन में सुधार लाने के लिए है, न कि सिर्फ शैक्षणिक उद्देश्यों के लिये. कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित कतरनी धान, जर्दालू आम और मखाना की मांग विदेश से भी बढ़ रही है. विश्वविद्यालय से विदेश तक अपने जीआई टैग प्राप्त उत्पाद को पहुंचा दिया है. वैज्ञानिक लगातार अपनी मेहनत से नवाचार के माध्यम से कैसे किसानों को रोजगार से जोड़ा जाये, इसके लिए तरह-तरह की टेक्नोलॉजी विकसित की जा रही है. हम अपने विश्वविद्यालय के स्तर से टाल क्षेत्र के लिए दलहन की 1100 क्विंटल बीज किसानों के खेतों तक पहुंचाने की बात कही. विश्वविद्यालय में जर्नलिज्म इन एग्रीकल्चर साइंस कोर्स की शुरुआत अगले वर्ष तक की जायेगी. बैठक में डॉ अंशुमान कपडारिया विश्वविद्यालय द्वारा विकसित धान की नवीनतम किस्म की जानकारी दी. प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ आरके सुहाने ने विवि की विभिन्न प्रसार गतिविधियों एवं उपलब्धियों की संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत की. उन्होंने सतत विकास लक्ष्य के अनुरूप कृषि प्रसार द्वारा किये जा रहे कार्यों की जानकारी दी. पूर्व उप महानिदेशक आइसीएआर के डॉ केडी कोकाटे ने कहा कि यदि हर गांव में एक करोड़ रुपए का कृषि उत्पादन लक्ष्य रखा जाय, तो देश की आय एक बार में सात लाख करोड़ रुपए तक बढ़ सकती है, जो भारत को एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने में अहम भूमिका निभाएगा. बैठक में मौजूद पूर्व निदेशक सीएसएयू एंड टी कानपुर डॉ ध्रूम सिंह, संयुक्त निदेशक आइएआरआइ नई दिल्ली डॉ आरएन पडारिया, निदेशक आइसीएआर अटारी पटना के डॉ अंजनी कुमार, डाॅ मीनू शशि ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया. बैठक में कई महत्वपूर्ण प्रकाशनों का विमोचन किया गया. इसके अलावा नालंदा जिले के प्रगतिशील किसान वीरेंद्र कुमार को किसान पुस्तकालय स्थापित करने के लिए कृषि आधारित पुस्तक विश्वविद्यालय द्वारा प्रदान की गई. रेडियो जॉकी अनु ने सभा का संचालन किया. कार्यक्रम में शामिल वक्ताओं एवं प्रतिभागियों ने प्रसार शिक्षा के जरिये कृषि नवाचारों को गांव-गांव तक पहुंचाने की आवश्यकता पर बल दिया.
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