प्रभात खबर कार्यालय में लीगल काउंसलिंग का आयोजन, वरीय अधिवक्ता रजनीकांत सिन्हा ने श्रम कानून पर दी जानकारी
प्रभात खबर कार्यालय में रविवार को प्रभात खबर कार्यालय में आयोजित लीगल काउंसलिंग सत्र में श्रम कानून मामलों में एक्सपर्ट भागलपुर व्यवहार न्यायालय के वरीय अधिवक्ता रजनीकांत सिन्हा ने श्रम कानून से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी दी. उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में श्रमिकों को उनके अधिकारों की सही जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है. कार्यक्रम में कई पाठकों ने श्रम कानून, न्यूनतम मजदूरी, बोनस अधिनियम, पीएफ, ईएसआई एवं कार्यस्थल पर सुरक्षा जैसे विषयों पर सवाल पूछे. अधिवक्ता श्री सिन्हा ने विस्तार से सभी सवालों के उत्तर दिये और बताया कि नियोक्ता और कर्मचारी दोनों की क्या जिम्मेदारियां होती हैं. इस काउंसलिंग सत्र का उद्देश्य आम लोगों को कानूनी रूप से जागरूक करना और उन्हें यह बताना था कि न्याय कैसे प्राप्त किया जा सकता है. प्रस्तुत है पाठकों को द्वारा किये गये कुछ प्रमुख प्रश्न और उसके उत्तर…1. चार माह तक भवन निर्माण में मजदूर का काम करवाया लेकिन रकम महज दो महीने का दिया. क्या करें?विभास मंडल, नवगछिया.
उत्तर – आप डिमांड लेटर प्रबंधन को देते हुए श्रम विभाग के पदाधिकारियों को प्रतिलिपि दें. फिर पक्षकारों को नोटिस दिया जायेगा. यदि आपके कार्य करने का प्रमाण उपल्बध है तो आपको न्याय जरूर मिलेगा.2. मैं अपनी कंपनी खोलना चाहता हूं. क्या सस्ते दर पर मिलने वाले वर्कर को रख कर काम ले सकता हूं. बाद में कोई समस्या तो नहीं होगी.
आरव अर्णव, भागलपुरउत्तर – सबसे पहले आपको कर्मियों को रखने के लिए श्रम विभाग के पदाधिकारी से लाइसेंस लेना होगा. फिर कांट्रेक्ट पर रखेंगे या नियमित रखेंगे, इसकी भी जानकारी देनी होगी.3. मेरी मां जीवन भर एक परिवार में दाई का काम करती रही. जिस परिवार में काम करती है, वह काफी धनवान है. अब मेरी मां काम करने में सक्षम नहीं है. क्या बची हुई जिंदगी जीने के लिए वह एक मुश्त रकम का दावा कर सकती है ?एक पाठक, भागलपुरउत्तर – आपको प्रमाणित करना होगा कि आपकी मां ने वर्षों तक सेवा दी है. निश्चित रूप से क्षतिपूर्ति प्राप्त करने का प्रावधान है. आपको श्रम विभाग के पदाधिकारी के समक्ष अपनी बात रखनी होगी.
4. बिनोवा दियारा में मुझसे दो साल तक शराब बनवाने का काम करवाया गया. एक साल तक रेगुलर रकम दी गयी. लेकिन एक साल बाद रकम नहीं दिया जाने लगी. कुछ दिन पहले पुलिस के डर से शराब बनाने का काम बंद कर दिया गया है. क्या कानून मुझे रकम दिलवा सकता है.एक पाठक, कहलगांव.
उत्तर – आपका कार्य पूरी तरह से अवैध था, इसलिए ऐसे कार्य के लिए कभी रकम प्राप्ति की उम्मीद न करें. आपका कार्य, कार्य नहीं वरन एक अपराध की श्रेणी में आता है. सबसे पहले आपको या आपके मालिक को कानूनन सजा मिलनी चाहिए.5. मेरी पत्नी मायके से नहीं आती है. एक बच्चा भी है. उसे अपने पास लाने का काफी प्रयास किया लेकिन वह आना ही नहीं चाहती है. मुझे क्या करना चाहिए.
विमल साह, गोराडीहउत्तर – आप परिवार न्यायालय जाएं और वहां अपनी बातों को रखें. उम्मीद है आपके साथ न्याय होगा.
6. एक हजार के स्टांप पर अपने दोस्त को आठ लाख रुपया दिया. स्टांप में दोनों ने समझौता किया कि अगर रकम की वापसी नहीं हुई तो मेरा दोस्त अपना घर मुझे रजिस्ट्री कर देगा. लेकिन अब न तो मुझे पैसे दिये जा रहे हैं और न ही मुझे घर रजिस्ट्री की जा रही है. कहने पर जान मारने की धमकी दी जा रही है. क्या करें.दीपक, भागलपुरउत्तर – आप थाने में प्राथमिकी दर्ज करायें और स्टांप में लिखी गयी बातों को अमल में लाने के लिए सिविल सूट करें.
7. एक राज मिस्त्री से 14,000 रुपये का काम करवा कर उसे मात्र चार हजार रुपये दिये गये. रकम प्राप्त करने के लिए क्या करना होगा.राजाराम साह, मिरजाफरी, खरीक
एक आवेदन मालिक को दें और उसकी प्रतिलिपि श्रम विभाग के पदाधिकारियों को दें. निश्चित रूप से पूरी प्रक्रिया के बाद आपको न्याय मिलेगा.8.सबको सरकारी नौकरी नहीं मिल पाती है, ऐसे में लोग प्राइवेट सेक्टर में काम करते हैं. लेकिन वहां पर न्यूनतम मजदूरी तक नहीं दी जाती है. क्या करें.
अजय कुशवाहा, भागलपुरउत्तर – आप मामले की शिकायत श्रम विभाग से करें. निश्चित रूप से ऐसे कर्मियों को नियमानुसार मेहनताना मिलेगा.भागलपुर के 50 फीसदी संस्थानों में नहीं मिल रहा श्रमिकों को बोनस और ग्रेच्यूटी
वरिष्ठ अधिवक्ता रजनीकांत सिन्हा ने रविवार को प्रभात खबर कार्यालय में आयोजित लीगल काउंसलिंग सत्र में बताया कि भागलपुर शहर के करीब 50 फीसदी संस्थान श्रमिकों को बोनस और ग्रेच्यूटी देने के कानूनी प्रावधानों का पालन नहीं कर रहे हैं. जबकि बोनस और ग्रेच्यूटी हर कर्मी का कानूनी अधिकार है. जिन संस्थानों में कर्मचारियों की संख्या में दस या उसे अधिक हो, वहां पर बोनस कानून लागू होगा. बोनस भुगतान अधिनियम, 1965 के अनुसार पात्र कर्मियों को न्यूनतम 8.33% बोनस देना अनिवार्य है. श्रमिकों को एक वर्ष में 15 दिन का वेतन के बराबर ग्रेच्यूटी देने का प्रावधान है. ग्रेच्यूटी भुगतान अधिनियम, 1972 के तहत पांच वर्षों की निरंतर सेवा के बाद कर्मचारी को ग्रेच्यूटी मिलनी चाहिए. अधिवक्ता ने कहा कि अगर कोई संस्थान कर्मियों को इन अधिकारों से वंचित कर रहा है तो उपश्रम आयुक्त कार्यालय या सह प्राधिकार पीजी एक्ट में शिकायत दर्ज करा सकते हैं. कानून पूरी तरह से श्रमिकों के पक्ष में है.नहीं कराएं बाल मजदूरी, यह एक दंडनीय अपराध हैवरिष्ठ अधिवक्ता रजनीकांत सिन्हा ने लीगल काउंसलिंग के दौरान बाल श्रम को लेकर भी जागरूक किया. उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से किसी भी प्रकार का श्रम कराना कानूनन अपराध है. बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986 के तहत ऐसा करने पर नियोक्ता को सज़ा और जुर्माने दोनों का प्रावधान है. बच्चों का स्थान स्कूल और खेल के मैदान में होना चाहिए, न कि किसी दुकान, फैक्ट्री या होटल में. अधिवक्ता ने लोगों से अपील की कि वे न सिर्फ खुद बाल श्रम से बचें, बल्कि जहां भी देखें, उसकी सूचना संबंधित प्रशासन को दें.
पंजीकृत मजदूरों को मिलने वाला लाभ और ऑनलाइन पंजीकरण प्रक्रियाजो मजदूर श्रम विभाग या निर्माण श्रमिक कल्याण बोर्ड में पंजीकृत होते हैं, उन्हें सरकार की कई कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिलता है. इनमें जीवन बीमा, दुर्घटना सहायता, प्रसूति लाभ, बच्चों की पढ़ाई व विवाह के लिए आर्थिक सहायता, और पेंशन जैसी सुविधाएं शामिल हैं. अधिवक्ता रजनीकांत सिन्हा ने बताया कि पंजीकरण अब पूरी तरह ऑनलाइन हो गया है. इससे प्रक्रिया सरल और पारदर्शी हुई है. इसके लिए आधार कार्ड, बैंक पासबुक, मोबाइल नंबर और हालिया फोटो की आवश्यकता होती है. श्रमिक की उम्र 18 से 60 वर्ष के बीच होनी चाहिए. उन्हें प्रमाणित करना होता है कि वह पिछले 90 दिनों से निर्माण क्षेत्र में कार्यरत हैं. पंजीकरण के बाद उसे एक यूनिक श्रमिक पहचान पत्र (लेबर कार्ड) जारी किया जाता है, जिससे वह सरकारी योजनाओं का लाभ ले सकता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है