Barhara Vidhan Sabha बिहार में विधानसभा चुनाव अक्टूबर-नवंबर में होना है. लेकिन, संभावित प्रत्याशियों ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है. इसकी एक बानगी 13 मई को बड़हरा में आयोजित स्वास्थ्य शिविर में दिखी. हालांकि स्वास्थ्य शिविर को गैर राजनीतिक करार दिया गया है. लेकिन, इसमें उमड़ी भीड़ के बाद बड़हरा में विधानसभा चुनाव की चर्चा शुरू हो गई है. इस चर्चा को बाहुबली पूर्व सांसद आनंद मोहन की उपस्थिति ने बल दिया है.
जदयू के पूर्व एमएलसी रणविजय सिंह (राजापुर वाले) की ओर से आयोजित इस स्वास्थ्य शिविर में पांच हजार से ज्यादा लोग अपने इलाज के लिए पहुंचे थे. आस-पास के लोगों का कहना है कि इस प्रकार का यह पहला आयोजन है जहां इतनी बड़ी संख्या में लोग पहुंचे थे. पूर्व एमएलसी रणविजय सिंह की ओर से पिछले कई दिनों से बड़हरा विधानसभा के कई प्रखंडों में इस प्रकार का आयोजन किया जा रहा था.
यह तो झांकी है
रणविजय सिंह का कहना है कि इसको राजनीतिक चश्में से नहीं देखना चाहिए. लेकिन इसके साथ ही वे यह भी कहते हैं कि यह तो झांकी है, अभी बहुत कुछ बाकी है. क्षेत्र की जनता का बेटा बनकर मैं इस क्षेत्र के विकास और शिक्षा के लिए काम करता रहुंगा. उनके इस बयान को राजनीतिक पंडित बिहार विधानसभा चुनाव से जोड़कर देख रहे हैं. उनका कहना है कि राजापुर वाले रणविजय सिंह भले ही अभी अपनी मंशा जाहिर नहीं कर रहे हैं.
लेकिन, उनके बयान से साफ है विधानसभा चुनाव में वे अपनी मजबूत दावेदारी पेश करेंगे. यह सब कुछ उसकी ही तैयारी है. इस सीट का नेता कौन होगा? यह तो चुनाव बाद ही तय होगा. लेकिन, यादव और राजपूत मतदाताओं की इसमें अहम भूमिका होती है. हाल के दिनों ब्राह्मण भी जीत हार में अहम भूमिका अदा करने की स्थिति में आ गए हैं.
बिहार का चित्तौड़गढ़
इस सीट से फिलहाल बीजेपी (BJP) के राघवेन्द्र प्रताप सिंह विधायक हैं. राघवेन्द्र प्रताप सिंह की यह छठी जीत थी. इससे पहले वे 1985 में जनता पार्टी, 1990 और 1995 में जनता दल और 2000 और 2010 में RJD के टिकट पर चुनाव जीत चुके हैं. लेकिन, लोकसभा चुनाव में राघवेन्द्र प्रताप सिंह पर अपने दल के प्रत्याशी आरके सिंह के खिलाफ काम करने का आरोप लगने के बाद से वे बीजेपी के निशाने पर हैं. आरके सिंह ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. पार्टी आलाकमान के समक्ष भी उन्होंने इसकी शिकायत किया है. इसके कारण इस दफा उनकी दावेदारी पर पार्टी के अंदर सवाल उठ रहे हैं.
बड़हरा विधानसभा को बिहार का चित्तौड़गढ़ के रूप में जाना जाता है. यही कारण है कि रणविजय सिंह ने राजपूत के बड़े नेता आनंद मोहन को अपने मेगा स्वास्थ्य शिविर में बुलाकर राजपूत मतदाताओं को अपने साथ कनेक्ट करने का प्रयास किया है. बिहार के चित्तौड़गढ़ बड़हरा के किला को अभी तक राजपूत समाज से आने वाले नेता ही विधायक बनते रहे हैं.
एक दफा इस सीट पर किसी गैर राजपूत नेता RJD के सरोज यादव की जीत हुई थी. सरोज यादव ने 2015 के विधानसभा चुनाव में BJP की आशा देवी को 13,308 मतों से हराया था. आशा देवी फरवरी 2005 और अक्टूबर 2005 में यहां से लगातार दो बार चुनाव जीत चुकी थी.
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