23.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

Bihar Diwas 2025: कैसे एक बिहारी को दहेज में मिल गया था पाकिस्तान और अफगानिस्तान?

Bihar Diwas 2025: बिहार पहले मगध साम्राज्य के नाम से जाना जाता है. इस साम्राज्य के गौरवशाली इतिहास पर हर भारतीय को गर्व होता है. आइये बिहार दिवस के अवसर पर उस दौर में घटित एक कहानी की बारे में जानते हैं कि कैसे एक बिहारी को दहेज में पाकिस्तान और अफगानिस्तान मिला था.

Bihar Diwas 2025: बिहार आज 113 साल की हो गई है. आज ही के दिन 1912 में बंगाल प्रेसीडेन्सी से अलग होकर बिहार एक अस्तित्व में आया था. बिहार दिवस न केवल राज्य के ऐतिहासिक महत्व को दर्शाता है, बल्कि यह बिहार की सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनीतिक यात्रा का भी प्रतीक है. 22 मार्च 1912 को ब्रिटिश सरकार ने बिहार को बंगाल प्रेसीडेन्सी से अलग कर एक नई प्रेसीडेन्सी का गठन किया. उस वक्त बिहार का क्षेत्रफल बहुत बड़ा था, जिसमें वर्तमान बिहार, झारखंड और ओडिशा के कुछ हिस्से शामिल थे. प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल तक बिहार की धरती से कई महान शख्सियतों ने देश-दुनिया में अपना परचम लहराया. विद्यापति, भगवान बुद्ध और महावीर से बिहार को खास पहचान मिली है. चाणक्य, चंद्रगुप्त मौर्य और सम्राट अशोक का गौरवपूर्ण इतिहास रहा है. इसके साथ ही, देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जन्म बिहार के सिवान में हुआ था. आइये बिहार के इतिहास से जुड़ा एक रोचक किस्सा जानते हैं कि कैसे एक बिहार को दहेज में पूरा पाकिस्तान मिल गया था.

एक समय बिहार को मगध साम्राज्य के नाम से जाना जाता था

326 ईसा पूर्व भारत पर सिकंदर ने आक्रमण किया था इसी काल में एक बिहारी राजा को दहेज में पाकिस्तान और अफगानिस्तान दिया गया था. दरअसल सिकंदर व्यास नदी पार नहीं कर पाया लेकिन उसके सेनापति सेल्युकस निकेटर ने इस नदी पार कर लिया. तब मगध की गद्दी पर चंद्रगुप्त मौर्य बैठे थे. सिकंदर को चंद्रगुप्त के प्रधानमंत्री चाणक्य ने युद्ध में पैर खींचने पर मजबूर कर दिया और सेल्युकस निकेटर को चंद्रगुप्त मौर्य से हार का सामना करना पड़ा. करारी हार के बाद उसने अपनी बेटी हेलन की शादी चंद्रगुप्त से कर दी और दहेज में पाकिस्तान और अफगानिस्तान का बड़ा क्षेत्र दे दिया. यह घटना तब के पाटलिपुत्र में घटी जिसे आज हम बिहार की राजधानी पटना के नाम से जानते हैं.

बिहार की ताजा खबरों के लिए क्लिक करें

इस स्ट्रेटजी की वजह से मिला दहेज में पाकिस्तान और अफगानिस्तान

सिकंदर यूनान से भारत पर हमला करने की नियत से आया था. 326 ईसा पूर्व उसने भारत पर अटैक किया लेकिन व्यास नदी को पार नहीं कर सका. कुछ साल बाद उसका सेनापति फिर से भारत आया और व्यास नदी को पार कर लिया. लेकिन चंद्रगुप्त मौर्य के प्रधानमंत्री चाणक्य ने अपनी नीतियों से उसे हरा दिया. चंद्रगुप्त मौर्य की सेना में हाथी बड़ी संख्या में था. सेल्युकस निकेटर को लगा कि मगध साम्राज्य को जीतने के लिए हाथियों की सेना होनी चाहिए, तो वो भी हाथियों के साथ लड़ने आया.

सेल्यूकस निकेटर ने हाथियों के साथ व्यास नदी को पार किया तो प्रधानमंत्री चाणक्य ने मौर्य को सलाह दी कि वो दुश्मन के हाथियों के सामने घोड़ों की सेना उतार दे. इसके बाद मौर्य की सेना ने बरसात के मौसम का इंतजार किया और उस स्थान को युद्ध के लिए चुना जहां पानी भर जाता है. पानी और फिसलन की वजह से हाथियों को चलने में दिक्कत होने लगी और घोड़ों पर स्वर सेना उसपर भारी पड़ने लगे. सेल्यूकस रथ लेकर आक्रमण करने आया था और चंद्रगुप्त मौर्य खुले घोड़े पर सवार थे. सेल्यूकस और उसकी सेना बुरी तरह फंस गई.

इतिहासकारों की मानें तो अगर युद्ध कुछ दिन और चलती तो निकेटर मारा जाता इसलिए उसमें अपनी बेटी हेलन की शादी मौर्य से करने का फैसला लिया. इसके बाद निकेटर ने दहेज में मौर्य को हेरात, कंधार, बलूचिस्तान और काबुल दिया. इस तरह से पाकिस्तान और अफगानिस्तान का एक बड़ा हिस्सा मौर्य को दहेज में मिला था.

इसे भी पढ़ें: Bihar Rain Alert: बिहार में बदलने वाला है मौसम का मिजाज, ओलावृष्टि- तेज हवा और बारिश का IMD ने जारी किया येलो अलर्ट

Paritosh Shahi
Paritosh Shahi
परितोष शाही डिजिटल माध्यम में पिछले 3 सालों से पत्रकारिता में एक्टिव हैं. करियर की शुरुआत राजस्थान पत्रिका से की. अभी प्रभात खबर डिजिटल के बिहार टीम में काम कर रहे हैं. देश और राज्य की राजनीति, सिनेमा और खेल (क्रिकेट) में रुचि रखते हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel