Bihar Diwas Special: आज (22 मार्च) बिहार दिवस है. आज प्रदेश की राजधानी पटना समेत अलग-अलग जिलों में कई सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं. इस साल बिहार दिवस की थीम ‘उन्नत बिहार, विकसित बिहार’ रखी गई है. बिहार का इतिहास काफी गौरवशाली रहा है. बिहार दिवस के मौके पर जब हम प्रदेश के गौरवशाली इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर का सम्मान करते हैं, तो एक नाम जो हमेशा सामने आता है, वह है नालंदा विश्वविद्यालय. बिहार की यह ऐतिहासिक यूनिवर्सिटी सिर्फ बिहार की नहीं, बल्कि पूरे देश- दुनिया के लिए ज्ञान का प्रतीक रहा है. आज, बदलते बिहार के साथ नालंदा यूनिवर्सिटी का पुनर्निर्माण और उसकी पुनः स्थापना बिहार के भविष्य को उज्जवल बनाने की दिशा में एक सराहनीय कदम है.
नालंदा विश्वविद्यालय का इतिहास

नालंदा विश्वविद्यालय का इतिहास 5वीं शताब्दी से जुड़ा है. इस गौरवशाली विश्वविद्यालय ने न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया में ज्ञान की ज्योति जलाई है. शिक्षा का प्रसार-प्रचार किया है. प्राचीन काल में बिहार का यह विश्वविद्यालय दुनिया भर के छात्रों के लिए एक अध्ययन का प्रमुख केंद्र था, जहां बौद्धिक बहसें, धार्मिक विचार-विमर्श और वैज्ञानिक अध्ययन होते थे. कई दशकों तक नालंदा विश्वविद्यालय का नाम इतिहास के पन्नों में खो गया था, लेकिन प्रदेश सरकार के अथक प्रयास ने इस धरोहर को फिर से जीवित किया है.
नए कैंपस को UNESCO ने दी पहचान

बिहार सरकार ने इस यूनिवर्सिटी के पुनर्निर्माण को लेकर कई सराहनीय कदम उठाए हैं. नालंदा में एक नया और लेटेस्ट टेक्नोलॉजी के साथ विश्वविद्यालय परिसर स्थापित किया है. प्राचीन नालंदा यूनिवर्सिटी की तरह ही नया कैंपस भी न केवल राज्य बल्कि देश और दुनिया के छात्रों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. इस विश्वविद्यालय को UNESCO ने सांस्कृतिक धरोहर के रूप में पहचान दी है.
बिहार के विकास में नालंदा यूनिवर्सिटी का योगदान

नालंदा यूनिवर्सिटी का पुनर्निर्माण प्रदेश के सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक विकास के लिए ऐतिहासिक कदम साबित हो रहा है. नालंदा यूनिवर्सिटी का नया कैंपस न केवल शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव ला रहा है, बल्कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूत बनाने में मदद कर रहा है. नालंदा विश्वविद्यालय में अब एक बार फिर से छात्र-छात्राओं की संख्या बढ़ रही है, जो प्रदेश के लिए बड़े अवसर उत्पन्न कर रहे हैं.
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