Bihar Education: बिहार सरकार ने जननायक और भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर की स्मृति को चिरस्थायी बनाने और राज्य की युवा पीढ़ी को सशक्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है.अब बिहार में ‘कर्पूरी ठाकुर कौशल विश्वविद्यालय’ की स्थापना की जाएगी, जिसके लिए आवश्यक विधेयक बिहार विधानसभा के मानसून सत्र में पारित कर दिया गया है. यह विश्वविद्यालय एक करोड़ रोजगार देने के वादे की दिशा में पहला व्यावहारिक कदम भी है.
जननायक कर्पूरी ठाकुर कौशल विश्वविद्यालय
बिहार विधानसभा के मानसून सत्र में जहां विपक्ष का भारी विरोध और हंगामा देखा गया, वहीं सरकार ने दो दिनों में 12 महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कर दिया. इनमें से सबसे अहम रहा श्रम संसाधन विभाग द्वारा प्रस्तुत कौशल विश्वविद्यालय का गठन से जुड़ा विधेयक. इससे स्पष्ट होता है कि सरकार युवाओं को कौशल प्रशिक्षण देकर रोजगार के योग्य बनाना चाहती है.
श्रम संसाधन मंत्री संतोष कुमार सिंह ने सदन में कहा कि यह विश्वविद्यालय कर्पूरी ठाकुर के उस सपने को साकार करेगा, जिसमें समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति को भी सम्मान और अवसर मिले. यह संस्थान ज्ञान संसाधन केंद्र के रूप में कार्य करेगा, जिससे राज्य की युवा आबादी को वैश्विक मानकों पर प्रशिक्षित किया जा सकेगा.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार होंगे कुलाधिपति
इस विश्वविद्यालय के कुलाधिपति स्वयं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार होंगे. यह चौथा ऐसा विश्वविद्यालय है, जिसके चांसलर की भूमिका मुख्यमंत्री को दी गई है. इससे पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हेल्थ साइंस यूनिवर्सिटी, इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी और स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी के भी कुलाधिपति हैं. मंत्री संतोष कुमार सिंह के अनुसार, मुख्यमंत्री के चांसलर बनने से विश्वविद्यालयों से संबंधित फैसले तेजी से लिए जा सकेंगे.
यह विश्वविद्यालय देश के 51 तकनीकी और प्रशिक्षण संस्थानों से जुड़ा होगा, जिससे यहां के छात्र अत्याधुनिक सुविधाओं और शिक्षण विधियों से लैस हो सकेंगे. मंत्री ने यह भी कहा कि इससे राज्य के युवाओं को अन्य राज्यों में जाकर प्रशिक्षण लेने की आवश्यकता नहीं होगी. विश्वविद्यालय में ही उन्हें रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रम और कौशल विकास की आधुनिक ट्रेनिंग उपलब्ध कराई जाएगी.
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कर्पूरी ठाकुर की विरासत को सलामी
नीतीश सरकार का दावा है कि कर्पूरी ठाकुर कौशल विश्वविद्यालय राज्य में रोजगार सृजन का एक नया मॉडल पेश करेगा. यह केवल एक शिक्षण संस्थान नहीं होगा, बल्कि उद्योगों की जरूरतों के अनुरूप कार्यबल तैयार करेगा. इससे राज्य में निवेश को भी प्रोत्साहन मिलेगा और उद्योग-शिक्षा सहयोग का नया अध्याय शुरू होगा.
इस विश्वविद्यालय के माध्यम से बिहार सरकार ने न केवल अपने रोजगार एजेंडे को मज़बूत किया है, बल्कि कर्पूरी ठाकुर जैसे नेता को उचित सम्मान भी दिया है, जिन्होंने पिछड़ों, गरीबों और वंचितों की आवाज को सत्ता तक पहुंचाया. उन्हें भारत रत्न देने के बाद अब उनके नाम पर विश्वविद्यालय की स्थापना एक राजनीतिक और सामाजिक दोनों ही स्तरों पर सशक्त संदेश देता है.