Bihar News: बिहार में संविदाकर्मियों को लेकर सरकार ने अपना रुख साफ कर दिया है. बिहार सरकार के मंत्री ने बुधवार को साफ कर दिया कि संविदाकर्मियों को स्थायी करने की सरकार के पास कोई योजना नहीं है. अगर, कर्मियों को कहीं न्यूनतम मजदूरी से कम पैसे मिल रहे हैं तो, इसकी सूचना पर सरकार कार्रवाई करेगी. विधान परिषद की दूसरी पाली में बुधवार को कार्यवाही के दौरान पूछे गये सवाल के जवाब में प्रभारी मंत्री विजय कुमार चौधरी (Vijay Kumar Chuadhary) ने जवाब देते हुए ये बातें कहीं. बता दें, वे एमएलसी वंशीधर ब्रजवासी की तरफ से पूछे गये सवाल का जवाब दे रहे थे.
क्या है संविदाकर्मियों की मांग?
बिहार में संविदाकर्मियों की सरकार से कई मांगें हैं, जो वे अपनी सेवा शर्तों और अन्य अधिकारों के लिए उठा रहे हैं.
- परमानेंट कर्मी: संविदाकर्मी चाहते हैं कि उन्हें स्थायी (नियमित) कर्मचारियों के रूप में माना जाए और उनकी सेवाओं को स्थायी आधार पर मान्यता दी जाए.
- वेतन वृद्धि: संविदाकर्मियों का यह भी कहना है कि उनका वेतन काफी कम है, जिसे बढ़ाया जाए और वेतनमान में समानता लाई जाए, ताकि उनकी मेहनत का उचित मूल्य मिल सके.
- भत्तों की वृद्धि: वेतन के साथ-साथ संविदाकर्मी विभिन्न भत्तों जैसे हाउस रेंट, ट्रांसपोर्ट भत्ता, और मेडिकल भत्ते की भी मांग कर रहे हैं.
- सेवानिवृत्ति पर लाभ: संविदाकर्मियों की मांग है कि उन्हें स्थायी कर्मचारियों की तरह रिटायरमेंट के बाद पेंशन और अन्य तरह के लाभ मिले.
- समय पर भुगतान: संविदाकर्मी चाहते हैं कि उनकी सैलरी समय पर दी जाए, क्योंकि कभी-कभी भुगतान में देरी होती है.
बिहार में संविदाकर्मी इन मांगों पर अड़े हुए हैं. वे इन मुद्दों पर सरकार से ध्यान देने की अपील कर रहे हैं. हालांकि, बुधवार को सरकार ने इसको लेकर साफ कर दिया है कि फिलहाल सरकार संविदाकर्मियों को परमानेंट नहीं करने जा रही है.
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