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बिहार में अब पंचायत स्तर पर बनेंगे जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र, लोगों के घर के पास ही मिलेगी सुविधा

Bihar News: बिहार सरकार अब जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाने की प्रक्रिया को और सरल बनाने जा रही है. जल्द ही राज्य की सभी ग्राम पंचायतों में यह प्रमाणपत्र पंचायत सचिव द्वारा ही जारी किए जाएंगे. इससे ग्रामीणों को प्रखंड कार्यालय के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे और उन्हें अपने ही पंचायत सरकार भवन में यह सुविधा मिलेगी.

Bihar News: बिहार सरकार ने राज्यवासियों को बड़ी राहत देने वाला फैसला लिया है. अब ग्रामीण क्षेत्रों में जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाने के लिए प्रखंड कार्यालय के चक्कर नहीं काटने होंगे. सरकार ने इसे पंचायत स्तर पर बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. पंचायत सरकार भवन में ही जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र जारी किए जाएंगे और इसकी जिम्मेदारी पंचायत सचिव को सौंपी जाएगी. इस व्यवस्था से ग्रामीण जनता को समय, पैसा और श्रम तीनों की बचत होगी.

पंचायत सरकार भवन में खुलेगा अलग काउंटर

आगामी दिनों में प्रत्येक पंचायत सरकार भवन में प्रमाणपत्र बनवाने के लिए अलग से काउंटर खोले जाएंगे. यहां आवेदक अपना आवेदन जमा करेंगे, जिसका सत्यापन पंचायत सचिव के स्तर पर किया जाएगा. सत्यापन के बाद उसी काउंटर से प्रमाणपत्र निर्गत कर दिया जाएगा. अर्थ एवं सांख्यिकी निदेशालय की ओर से इस दिशा में पहल शुरू कर दी गई है और राज्य सरकार को अंतिम मंजूरी के लिए प्रस्ताव भेजने की तैयारी है.

ग्रामीणों को होगी बड़ी सहूलियत

अब तक ग्रामीणों को जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाने के लिए प्रखंड सांख्यिकी पदाधिकारी के पास जाना पड़ता था. वहां सीमित स्टाफ और एक ही काउंटर होने के कारण लंबी लाइनें लगती थीं और दलाल सक्रिय रहते थे. इन समस्याओं को देखते हुए निदेशालय ने पंचायत स्तर पर प्रमाणपत्र निर्गत करने का निर्णय लिया है. वर्तमान में राज्य में हर साल औसतन 30 लाख बच्चों के जन्म प्रमाणपत्र बनाए जाते हैं, जिनमें शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों की भागीदारी कम है.

ट्रायल के तौर पर चल रहा ग्राम विकास शिविर

इस योजना को लागू करने से पहले प्रदेश के सभी पंचायतों में ग्राम विकास शिविर लगाए जा रहे हैं, जहां उन बच्चों का प्रमाणपत्र बनाया जा रहा है जिनका अब तक जन्म प्रमाणपत्र नहीं बन पाया है. इसे एक अभियान के रूप में चलाया जा रहा है ताकि आधारभूत आंकड़ों को दुरुस्त किया जा सके.

प्रमाणपत्र निर्गत की नई व्यवस्था

  • 30 दिन के भीतर आवेदन- पंचायत सचिव के स्तर से प्रमाणपत्र
  • 1 माह से 1 साल के भीतर- प्रखंड सांख्यिकी पदाधिकारी की अनुशंसा पर
  • 1 साल बाद के मामलों में- बीडीओ की अनुशंसा पर

शहरी क्षेत्रों में भी सुधार की मांग

शहरी क्षेत्रों में अब भी रजिस्ट्रार के स्तर पर प्रमाणपत्र बनते हैं, लेकिन यहां भी जनता को परेशानी होती है. इसलिए लोगों ने मांग की है कि शहरी क्षेत्रों में भी वार्ड स्तर पर ऐसी व्यवस्था लागू की जाए.

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Abhinandan Pandey
Abhinandan Pandey
भोपाल से शुरू हुई पत्रकारिता की यात्रा ने बंसल न्यूज (MP/CG) और दैनिक जागरण जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में अनुभव लेते हुए अब प्रभात खबर डिजिटल तक का मुकाम तय किया है. वर्तमान में पटना में कार्यरत हूं और बिहार की सामाजिक-राजनीतिक नब्ज को करीब से समझने का प्रयास कर रहा हूं. गौतम बुद्ध, चाणक्य और आर्यभट की धरती से होने का गर्व है. देश-विदेश की घटनाओं, बिहार की राजनीति, और किस्से-कहानियों में विशेष रुचि रखता हूं. डिजिटल मीडिया के नए ट्रेंड्स, टूल्स और नैरेटिव स्टाइल्स के साथ प्रयोग करना पसंद है.

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