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बिहार में जमाबंदी और वंशावली के लिए नहीं लगाना होगा चक्कर, करना होगा बस ये काम

जिनके नाम से जमीन की जमाबंदी होगी, वही लोग अब जमीन की बिक्री कर सकेंगे. इस नये नियम से जमीन की खरीद-बिक्री कम हो गयी है. कारण राज्य की अधिकांश जमीन की जमाबंदी बाप-दादा के नाम पर है.

बिहार में अब संबंधित जमीन को वही लोग बेच सकेंगे जिनके नाम पर जमीन की जमाबंदी होगी. सरकार के इस नये नियम से जमीन की खरीद-बिक्री कम हो गयी है. इसका मुख्य कारण है पुश्तैनी जमीन का बंटवारा न होना. अब बंटवारे के लिए मुख्य दस्तावेजों में से एक है वंशावली. आमतौर पर वंशावली बनवाने के लिए अंचल कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ता है. लेकिन नए नियमों के बाद लोगों को हो रही परेशानी को देखते हुए विभाग ने नई तैयारी की है.

वंशावली के लिए शिविर

सरकार के निर्देश पर सभी जिला प्रशासन भूमि जमाबंदी व वंशावली के कार्य में तेजी लाने के लिए पंचायत स्तर पर विशेष शिविर आयोजित कर रहा है. यह शिविर सप्ताह में तीन दिन मंगलवार, बुधवार एवं गुरुवार को आयोजित किया जा रहा है. जरूरत पड़ने पर शिविर लगाए जाने वाले दिनों की संख्या बढ़ाई भी जा सकती है।

कैसे बनवाएं वंशावली

वंशावली बनवाने के लिए आपको अपने वार्ड सदस्य से एक आवेदन पत्र लेना होगा और उसमें सारी जानकारी दर्ज करनी होगी. इसके बाद आपको इसे वार्ड सदस्य के कार्यालय या जोनल कार्यालय में जमा करना होगा. यह आवेदन आप तीन दिवसीय आयोजित शिविर में भी जमा कर सकते हैं. इसके बाद आपका आवेदन सत्यापित किया जाएगा. यदि सब कुछ सही रहा तो आपको वंशावली उपलब्ध करा दी जाएगी.

इन कार्यों के लिए भी शिविर

इस विशेष शिविर में पूर्व में बनाये गये जमाबंदी में बचे खाता, खेसरा, रकबा एवं लगान को अपडेट करने का भी काम किया जा रहा है. इसके साथ ही पारिवारिक बंटवारे के लिए वंशावली बनाने का काम भी किया जा रहा है. इसके लिए पंचायत भवन, ग्राम कचहरी, सामुदायिक भवन को हल्का मुख्यालय के रूप में चिह्नित कर शिविर का आयोजन किया जा रहा है.

क्या है नया नियम

दरअसल, भूमि के खरीद-बिक्री आपसी झगड़े एवं धोखाधड़ी को समाप्त करने के उद्देश्य से नये प्रावधान के तहत अब केवल वे ही व्यक्ति जमीन की बिक्री कर पायेंगे, जिनके स्वयं के नाम से जमाबंदी कायम है. जिन परिवारों में अभी तक पूर्वजों के नाम से जमाबंदी संधारित है, आपसी बंटवारा कर अपने-अपने नाम से जमाबंदी करा सकते हैं.

पचास फीसदी क हुई जमीन की रजिस्ट्री

जमाबंदी में बिक्रेता का नाम नहीं होने पर जमीन की बिक्री में काफी कमी आयी है.पिछले साल 23 फरवरी से चार मार्च के बीच दस्तावेजों के हुए निबंधन की अपेक्षा इस साल 23 से चार मार्च के बीच दस्तावेजों के निबंधन में 50 प्रतिशत की कमी हुई है. पिछले साल इस अवधि में 800 दस्तावेजों का निबंधन हुआ था. जबकि इस साल उक्त अविध में मात्र 440 दस्तावेजों का निबंधन हुआ है. दस्तावेजों के निबंधन में कमी आने से राजस्व पर इसका असर पड़ा है.

Anand Shekhar
Anand Shekhar
Dedicated digital media journalist with more than 2 years of experience in Bihar. Started journey of journalism from Prabhat Khabar and currently working as Content Writer.

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