Congress In Bihar: बिहार में इस साल के अंत तक बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं. इसको लेकर तमाम पार्टियों ने कमर कसनी शुरू कर दी है. नेताओं के बीच वार-पलटवार का दौर जारी है. कांग्रेस आलाकमान ने भी बिहार को साधने का पूरा प्लान तैयार कर लिया है. कांग्रेस ने पहले बिहार के चुनावी मैदान में अकेले उतरने के संकेत दिये थे, लेकिन जल्दी ही साफ कर दिया कि वो महागठबंधन के साथ ही बिहार विधानसभा का चुनाव लड़ेगी. स्पष्ट है महागठबंधन में आरजेडी के साथ चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस को लालू यादव और तेजस्वी यादव की शर्तें भी माननी होंगी और शर्तों में सबसे प्रमुख फैक्टर हैं राहुल गांधी के पसंदीदा नेता कन्हैया कुमार और पूर्णिया से सांसद पप्पू यादव.
कन्हैया को तेजस्वी का प्रतियोगी मानते हैं लालू यादव
राजद सुप्रीमो लालू यादव शुरुआत से ही दोनो नेताओं को कांग्रेस में लेने के पक्ष में नहीं रहे हैं. क्योंकि, कन्हैया कुमार को लालू यादव तेजस्वी का प्रतियोगी मानते हैं, और पप्पू यादव से उनकी जमी नहीं. इसका प्रमाण लोकसभा चुनाव में देखने को मिला था, जब पप्पू यादव को हराने के लिए तेजस्वी यादव पूर्णियां में डेरा डाल दिये थे, लेकिन इसमें वे असफल रहे. 2019 की ही तरह 2024 में भी तेजस्वी यादव ने कन्हैया कुमार को महागठबंधन के तहत बेगूसराय से चुनाव नहीं लड़ने दिया था.
7 अप्रैल को बिहार आ रहे हैं राहुल गांधी
बिहार विधानसभा में लोकसभा चुनाव जैसी चुनौती तो नहीं आने वाली, लेकिन राहुल गांधी के लिए महागठबंधन में कन्हैया कुमार और पप्पू यादव की भूमिका को लेकर लालू यादव और तेजस्वी यादव को राजी करना निश्चित रूप से थोड़ा चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है. इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि इन सब की शुरुआत राहुल गांधी के बिहार दौरे से ही होने वाली है. दरअसल, 7 अप्रैल को राहुल गांधी बिहार दौरे पर आने वाले हैं.
कन्हैया को लेकर कांग्रेस का प्लान
कन्हैया को लेकर कांग्रेस का क्या प्लान है, ये तो पार्टी के आलाकमान ने अभी स्पष्ट नहीं किया है, लेकिन यह साफ है कि पप्पू यादव को विधानसभा चुनाव नहीं लड़ना है. कन्हैया अब तक दो बार लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं. 2024 में कांग्रेस ने कन्हैया को बीजेपी के मनोज तिवारी के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारा था, लेकिन इस बार भी उन्हें मुंह की खानी पड़ी थी. इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि बिहार में कन्हैया की भूमिका कैंपेन तक ही सीमित लगती है, वरना आरजेडी और कांग्रेस में समझौते का सवाल ही पैदा नहीं होता. वैसे इन सब के बावजूद कांग्रेस की तरफ से तेजस्वी यादव को अपने गठबंधन का नेता मंजूर न किया जाना कयासों के लिए जगह तो छोड़ ही रहा है.
राहुल गांधी का सबसे बड़ा चैलेंज
बिहार कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावरु ने कार्यकर्ताओं से कहा है, “अभी हम चुनाव और जनता के मुद्दों पर फोकस कर रहे हैं. महागठबंधन में अभी सीटों को लकेर कोई चर्चा नहीं हुई है. बातचीत होगी तो आपलोगों को जानकारी दी जाएगी.” बता दें, चुनाव कैंपेन में भी कन्हैया कुमार और पप्पू यादव की भूमिका तय करते वक्त कांग्रेस को यह ध्यान रखना होगा कि उस दौरान तेजस्वी यादव से टकराव की नौबत न आये. राहुल गांधी के लिए बिहार में यही सबसे बड़ा चैलेंज साबित होने वाला है.