दरभंगा. चिकित्सा क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ सोसाइटीज ऑफ बायोलॉजिकल सैकियाट्री ने युवा अनुसंधानक पुरस्कार के लिए डॉ अर्चना का चयन किया है. विश्व स्तर पर 10 चिकित्सकों को मिलने वाले इस पुरस्कार के लिये डॉ अर्चना के चयन से मिथिला का नाम विश्व पटल पर गौरवान्वित हुआ है. डॉ अर्चना को यह पुरस्कार मनोचिकित्सा विशेषतः सिजोफ्रेनिया के क्षेत्र में अनुसंधान के लिए मिलेगा. उन्हें यह पुरस्कार नौ सितंबर को बर्लिन (जर्मनी) में होने वाले जैविक मनोचिकित्सा के विश्व सम्मेलन में प्रदान किया जाएगा.
पूर्व विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो. प्रेम मोहन मिश्रा की पुत्री हैं डॉ अर्चना
डॉ अर्चना लनामिवि के पूर्व विज्ञान संकायाध्यक्ष सह पीजी रसायन विभागाध्यक्ष एवं डब्लूआइटी के निदेशक रहे प्रो. प्रेम मोहन मिश्र की ज्येष्ठ पुत्री हैं. डॉ अर्चना की इस उपलब्धि पर पिता प्रो. मिश्र एवं मां डॉ वीणा मिश्र सहित पूरे परिवार ने खुशी जतायी है. प्रो. मिश्र के अनुसार डॉ अर्चना को इससे पहले 2019 में कनाडा में चिकित्सा के क्षेत्र में किए गए शोध के लिए अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हो चुका है. उसके लगभग 50 शोधपत्र अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित है. वह बर्लिन में सिजोफ्रेनिया पर शोध पत्र प्रस्तुत करेगी. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, दिल्ली से डीएम की डिग्री प्राप्त करने के बाद वह अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, भुवनेश्वर में वरीय अनुसंधानक के पद पर कार्यरत हैं.
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