Darbhanga News: दरभंगा. अपने तप, विद्या-ज्ञान व कल्याण भाव ब्राह्मणों की पहचान रही. अपने ब्रह्णत्व को अक्षुण्ण रखते हुए एकजुट होना वर्तमान में ब्राह्मणों के लिए आवश्यक है. ये बातें संस्कृत विवि के पूर्व कुलपति प्रो. देवनारायण झा ने कही. वे रविवार को ऑल बिहार ब्राह्मण फेडरेशन की जिला इकाई के तत्वाधान में बलभद्रपुर स्थित ब्राह्मण महासभा प्रांगण में ब्राह्मण समाज की सामाजिक एवं राजनीतिक दशा एवं दशा पर आयोजित विशेष परिचर्चा में बोल रहे थे. कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए पूर्व कुलपति झा ने ब्राह्मण होने का अर्थ विस्तार के समझाते हुए कहा कि ब्राह्मण में विद्या हो, तप हो और ब्राह्मण कुल में जन्म हो. जिस ब्राह्मण में विद्या और तप नहीं है वह सिर्फ जाति से ब्राह्मण है. आज के जमाने में तुलसी दास और मनु प्रासंगिक हो गए हैं, लेकिन सैकड़ों साल बाद भी आज तक न कोई दूसरा तुलसी दास हुआ और न कोई मनु हुआ. ज्ञान का कोई देवता है तो ब्राह्मण है. मनु ने कहा है कि ब्राह्मण किसी का खाता नहीं. वह अपना खाता है और ब्राह्मण जिसका खाता है उस पर कृपा कर देता है. आचार, विचार, शिक्षा, राजनीति और विद्या का ज्ञान प्राप्त करना हो तो ब्राह्मणों के चरणों में जायें. जब मनुष्य अचार से रहित हो जाता है, तो वेद भी उसे पवित्र नहीं कर पाता. आचार सबसे बड़ा धर्म होता है और आचार की शिक्षा ब्राह्मण देता है. इस अवसर पर चिकित्सक डॉ मिथलेश झा ने कहा कि ब्राह्मण समाज के उत्थान को लेकर इस समाज को आगे आना चाहिए. वहीं डॉ पूनम कुमारी मिश्रा ने कहा कि ब्राह्मण समाज में महिलाओं के उत्थान पर भी ध्यान देना चाहिए. डॉ सीएस झा ने कहा कि ब्राह्मण को राजनीतिक शक्ति पर कमजोर किया जा रहा है. आजादी के बाद भारत की राजनीति में ब्राह्मणों की संख्या सबसे अधिक थी, लेकिन आज संख्या नगण्य है. फेडरेशन के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष सुशील चौधरी ने कहा कि ब्राह्मण समाज को राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर एकजुट होने की जरूरत है. पहले के अनुपात में लोग काफी जागरूक हुए है. डॉ मृदुल शुक्ला ने कहा कि अब समय आ गया है कि ब्राह्मण समाज के सभी लोग एक हों. सदैव अपने समाज के कमजोर लोगों का सहयोग करें. फेडरेशन के जिलाध्यक्ष रामचंद्र चौधरी पप्पू ने कहा कि आगंतुकों के साथ आयोजन में सहभागियों के प्रति आभार व्यक्त किया. संचालन डॉ उद्भट मिश्र और डॉ आनंद झा ने किया. मौके पर आदित्य नारायण मन्ना, मनोज कुमार झा, अभयानंद झा, अवधेश कुमार मुन्ना, मणिकांत मिश्र, प्रशांत कुमार, प्रदीप ठाकुर, कृष्णमोहन झा, रामनारायण ठाकुर, हेमंत झा, बबलू मिश्र, गणेश मिश्र, रोशन कुंवर, अमरेंद्र कुमार, डॉ संदीप मिश्र, डॉ एसी मिश्र, डॉ एसएन झा, डॉ विनय मिश्र, डॉ गौरीशंकर झा, डॉ प्रवीण कुमार, डॉ अरविंद कुमार, डॉ आरके पाठक सहित बड़ी संख्या में समाज के लोग शामिल थे.
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