Darbhanga News: दरभंगा. नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 की पांचवीं वर्षगांठ पर इग्नू क्षेत्रीय केंद्र परिसर में मंगलवार को “ज्ञान-सशक्त समाज से ज्ञान- सृजन और नवोन्मेषी पारिस्थितिकी तंत्र की ओर रूपांतरण ” विषय पर संगोष्ठी का आयोजन क्षेत्रीय निदेशक डॉ संतन कुमार राम की अध्यक्षता में हुआ. मौके पर क्षेत्रीय निदेशक ने कहा कि शिक्षा पूर्ण मानवीय क्षमता को प्राप्त करने, समता मूलक और न्यायपूर्ण समाज के निर्माण और राष्ट्रीय विकास को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक है. एनइपी 2020 को पांच वर्ष पहले आज ही के दिन अपनाया गया था. इस नीति की परिकल्पना वैज्ञानिक डॉ के कस्तूरीरंगन ने की थी. इस नीति ने देश के ज्ञान परिदृश्य को बदल दिया है.
ज्ञान, बुद्धि और सत्य की खोज हमेशा से रहा है भारतीय शिक्षा प्रणाली का गुण
कहा कि नई शिक्षा नीति का मुख्य उद्देश्य बच्चों को सीखने, आलोचनात्मक रूप से सोंचने और रचनात्मकता के साथ समस्याओं का समाधान करने में सक्षम बनाना है. कहा कि कार्यान्वयन के पांच वर्षों के बाद क्या हम अपने संविधान की परिकल्पना के अनुसार एक समतामूलक, समावेशी और बहुलवादी समाज के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध, उत्पादक और योगदान देने वाले नागरिक तैयार कर पा रहे हैं? ज्ञान, बुद्धि और सत्य की खोज हमेशा से भारतीय शिक्षा प्रणाली का एक गुण रहा है.
एनइपी 2020 के प्रमुख कारकों की दी जानकारी
मुख्य वक्ता कॉलेज ऑफ टीचर एजुकेशन के प्रधानाचार्य प्रो. फैज अहमद ने एनइपी 2020 के प्रमुख कारकों को बताया. हिस्सेदारी, गुणवत्ता, सामर्थ्य, जवाबदेही एवं मौलिक शिक्षा, गांधी जी की बेसिक शिक्षा, वोकेशनल एजुकेशन, स्कूल एजुकेशन, हायर एजुकेशन, टीचर ट्रेनिंग एवं इंक्लूसिव एजुकेशन पर प्रकाश डाला. बच्चों की आकांक्षाओं से जुड़ी शिक्षा पर विशेष जोर दिया. इग्नू क्षेत्रीय केंद्र देहरादून के सहायक क्षेत्रीय निदेशक डॉ राजीव कुमार ने भी विचार व्यक्त किया.
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