Darbhanga News: जाले. प्रखंड क्षेत्र के सहसपुर, जोगियारा सहित मधुबनी जिले के बेनीपट्टी प्रखंड के लड्डूगामा, विशे लड्डूगामा व छुलकाढ़ा पंचायत के किसान जंगली जानवरों के आतंक से परेशान हैं. परेशान किसानों ने दरभंगा, मधुबनी व सीतामढ़ी जिले की सीमा पर रंका चौर सहित अन्य चौरों में खेती करना ही छोड़ दिया है. खेती नहीं होने की वजह से इन चौर में रारी, कतरा, बतरी, कुश आदि का जंगल और घना हो गया है. यही झाड़ी फिलहाल जंगली जानवरों नील गाय, सुअर व बंदरों आदि का पनाहगार बना हुआ है. ग्रामीणों का कहना है कि पूर्व में इन चौर में खरीफ के तहत धान व रबी के तहत गेहूं, दलहन-तेलहन की खेती व्यापक स्तर पर होती थी. वर्ष 2000 से इन चौर में खेती बंद हो गयी है. जोगियारा के किसान गोपाल साह ने बताया कि पूर्व में अगहनी धान में जया, हरिनकेर, नेपाली आदि प्रभेद का मोटा धान इन खेतों में भरपूर मात्रा में होता था. इन प्रभेदों की खासियत थी कि जैसे-जैसे बाढ़ का पानी बढ़ता था, वैसे-वैसे धान का पौधा भी बढ़ता जाता था. उन दिनों इन क्षेत्रों में जंगली जानवरों का आतंक नहीं था. लोग आराम से देर शाम तक धान, गेहूं की कटनी करते थे. खेती के समय पूरे रंका चौर में दर्जनों जलते लालटेन दिखते थे, लेकिन इस इलाके में जंगली जानवरों के प्रवेश व उसके हमला के कारण धीरे-धीरे किसानाें ने इस क्षेत्र में खेती करना ही बंद कर दिया. वहीं राम पुकार साह ने कहा कि खेती के दौरान ही सुजीत सिंह को जंगली सूअर के झुंड ने खदेड़ा था. वे तो बच निकले, परंतु राम बालक मांझी की पत्नी मंजुला देवी सूअर की पकड़ में आ गयी. उसे गंभीर रूप से घायल कर दिया था. सुजीत सिंह द्वारा शोर मचाने पर दर्जनों ग्रामीण लाठी, भाला आदि लेकर दौड़े, तब जाकर उसकी जान बच पायी थी. अन्य ग्रामीणों ने बताया कि पूर्व में खेती होने वाले इस इलाके के सैकड़ो एकड़ भूमि आज जंगल में तब्दील होकर जंगली जानवरों का पनाहगाहर बना हुआ है. इनमें रंका सहित सीमपकड़ी, डोरहर, सरनिया, कोरलाही व फतीया चौर शामिल है. इन सभी चौर की मिट्टी लगभग एक ही समान है. उपज भी लगभग समान ही होती थी.
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