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Darbhanga News: भाषा एक-दूसरे के लिए बाधक नहीं, बल्कि समृद्धि में होती सहायक

Darbhanga News:प्रधानाचार्य डॉ मुश्ताक अहमद ने कहा कि किसी भी भाषा की पहचान उसकी लिपि से होती है.

Darbhanga News: दरभंगा. सीएम काॅलेज में संस्कृत विभाग एवं मैथिल संघ, मोहाली की ओर से शनिवार को आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी सह मिथिलाक्षर विज्ञ प्रमाण पत्र वितरण समारोह में प्रधानाचार्य डॉ मुश्ताक अहमद ने कहा कि किसी भी भाषा की पहचान उसकी लिपि से होती है. लिपि के उपयोग से ही भाषा की जीवंतता का प्रमाण मिलता है. कोई भी भाषा एक-दूसरे के लिए बाधक नहीं, बल्कि समृद्धि में सहायक होती है. कहा कि कुंठा रखने वाली भाषा भविष्य में मृत हो जायेगी. नयी शिक्षा नीति के पूर्ण रूप से लागू होने पर मातृभाषाओं को विस्तार मिलना सुनिश्चित बताया. डाॅ अहमद ने मिथिला से दूर रह कर भी मिथिलाक्षर के लिए अभियान चलाने को लेकर मैथिल संघ मोहाली एवं इसके संरक्षक शशिभूषण झा की तारीफ की.

लिपि में बसता संस्कृति का प्राण – डॉ अमलेंदु

संयोजक डॉ संजीत कुमार झा सरस के संचालन में संपन्न “संस्कृतं मिथिलाक्षरंच : अतीतं वर्त्तमानम् एवं भविष्यम् ” विषयक संगोष्ठी का आरंभ डॉ अमलेंदु शेखर पाठक के बीज भाषण से हुआ. डॉ पाठक ने भारतीय भाषाओं की जननी संस्कृत को सांस्कृतिक प्राण वायु बताया. कहा कि मिथिलाक्षर की प्राचीनता को सिद्ध करने में भी संस्कृत सहायक रही है. भाषा के पीछे-पीछे संस्कृति चलती है और लिपि में संस्कृति का प्राण बसता है. ब्राह्मी लिपि से मिथिलाक्षर के उद्गम की चर्चा की. कहा कि इसका अतीत काफी समुज्वल रहा है. मैथिली के सर्वांगीण विकास में प्रवासी मैथिलों की भूमिका को अहम बताया.

मिथिलाक्षर मात्र लिपि नहीं, यह इतिहास और परंपरा की वाहिका भी- शशिभूषण

नंदन संस्कृत काॅलेज, इसहपुर के प्राध्यापक डॉ काशीनाथ झा ने मिथिलाक्षर के जानकारों की बढ़ती तादाद पर खुशी जतायी. मिथिलाक्षर में लिखित पांडुलिपियों को सहेजने के लिए चल रहे सरकारी प्रयासों का जिक्र किया. एमएलएस काॅलेज सरिसवपाही के प्रधानाचार्य डॉ कृष्णकांत झा ने कहा कि भाषा को उदार होना चाहिए. इससे पूर्व राजकुमार मिश्र एवं आदर्श कुमार झा के वैदिक मंगलाचरण के बीच अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन तथा अभिजीत कुमार के सरस्वती वंदना से शुरू संगोष्ठी में स्वागत भाषण मैथिल संघ मोहाली के संरक्षक शशिभूषण झा ने किया. कहा कि मिथिलाक्षर मात्र लिपि नहीं, बल्कि यह इतिहास और परंपरा की वाहिका भी है. संघ छह वर्षों से निशुल्क प्रशिक्षण के माध्यम से हजारों लोगों को जोड़ा है. कतर, मलेशिया, इंग्लैंड आदि देशों में भी मिथिलाक्षर लोग सीखे हैं. डाॅ सुरेंद्र भारद्वाज ने भी विचार रखे.

सम्मानित किये गये मिथिलाक्षर अभियानी

मौके पर डॉ पूर्णचंद्र लाल दास, श्याम बिहारी मल्लिक, दीपक कुमार झा, विक्रम आदित्य सिंह आदि को मिथिलाक्षर अभियान में विशिष्ट सहभागिता के लिए पाग-चादर और प्रतीक चिह्न से सम्मानित किया गया. मो. अजमल समेत 115 मिथिलाक्षर विज्ञ को प्रमाण पत्र और मेडल दिया गया.

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