Darbhanga News: जाले. पशुओं में लम्पी रोग फैलने लगा है. इसे लेकर कई गांवों के पशुपालकों ने इसकी सूचना जाले व कमतौल में पदस्थापित चिकित्सक को दी. सूचना मिलते ही कमतौल के चिकित्सक डॉ दिवाकर व डॉ शालू पाठक के निर्देश पर मोबाइल पशु एम्बुलेंस के चिकित्सक डॉ आकाश ने पशुओं का इलाज किया. डॉ दिवाकर ने बताया कि यह एक वायरल बीमारी है. इस रोग का आक्रांत पशुओं के लिए कोई सटीक दवा नहीं है. इसका वैक्सीन प्रखंड मुख्यालय स्थित अस्पताल में लगभग एक माह से उपलब्ध है. जिला से आदेश नहीं मिलने की वजह से पशुओं को टीका नहीं दिया गया. रतनपुर की मुखिया सरिता देवी के डॉ दिवाकर को बताया कि लम्पी रोग से आक्रांत गाय के पूरे शरीर में छोटी-छोटी गिल्टी हो गया है. बताया कि पंचायत के कई पशुपालकों की गाय इस रोग से आक्रांत हैं. वहीं इलाज करते हुए डॉ दिवाकर ने बताया कि इस गिल्टी का इलाज समय पर नहीं होने पर वह धीरे-धीरे बढ़कर घाव का रूप ले लेता है. इस दौरान अत्यधिक खुजली होने की वजह से पशुओं में बेचैनी रहती है. इस रोग से ग्रसित पशुओं को अन्य पशुओं से सबसे पहले अलग साफ-सुथरा और हवादार जगह पर रखना चाहिए. उन्होंने पशु शेड में प्रत्येक सप्ताह चूना का छिड़काव करने तथा शाम में मच्छर से बचाव के लिए घूरा में नीम, शरीफा आदि का पत्ता के साथ एक दो तेजपत्ता में घी लगाकर रखने की बात कही. कहा कि इससे पशु शेड में रहने वाले मच्छर, मक्खी, कीड़े-मकोड़े आदि भाग जाते हैं. उन्होंने पशुओं को रोज स्नान कराने, उसके शरीर पर गंदगी दिखने पर साबुन भी लगाने की सलाह दी. वहीं इस रोग से आक्रांत पशुओं को एहतियातन आइवरमेक्टिन, एमॉक्सिलिन आदि का सूई लगाया. बताया कि आइवरमेक्टिन दवा पशुओं को बाह्य परजीवी से निजात दिलाता है. आइवरमेक्टिन सूई से पशुओं के चमड़ी में छिपे आठगोरवा, जू आदि परजीवी नष्ट हो जाते हैं. वहीं पशु एम्बुलेंस पर पदस्थापित चिकित्सक डॉ आकाश ने पशुपालकों को इस रोग से आक्रांत पशुओं को लम्पी हीट नामक दवा देने की सलाह दी.
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