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Darbhanga : पदमुक्त किये गये मिथिला विश्वविद्यालय के कुलसचिव

वहीं लनामिवि के कुलसचिव पद से डॉ अजय कुमार पंडित को मुक्त कर दिया गया है.

Darbhanga : दरभंगा. कुलाधिपति के आदेश से लनामिवि के कुलसचिव के कार्यों को संपादित करने का अतिरिक्त दायित्व (वित्त सहित) पीजी गृह विज्ञान विभागाध्यक्ष सह उपकुलसचिव द्वितीय डॉ दिव्या रानी हंसदा को मिला है. इससे संबंधित पत्र कुलाधिपति के प्रधान सचिव रॉबर्ट एल चोंग्थू ने मंंगलवार को जारी किया है. जारी पत्र में कहा गया है कि विवि के शैक्षणिक एवं प्रशासनिक हित को देखते हुए वैकल्पिक व्यवस्था के तहत नियमित कुलसचिव की नियुक्ति होने तक कार्यों काे संपादित करने के लिये डॉ हंसदा को अधिकृत किया गया है. वहीं लनामिवि के कुलसचिव पद से डॉ अजय कुमार पंडित को मुक्त कर दिया गया है. पत्र में कहा गया है कि कुलसचिव की नियुक्ति सम्बन्धित परिनियम निर्गत होने के उपरांत नियमित कुलसचिव की नियुक्ति होगी. कुलाधिपति ने वैकल्पिक व्यवस्था के तहत वीसी की ओर से 16 अप्रैल एवं दो मई को किये गये अनुरोध के आलोक में डॉ दिव्या रानी हंसदा को कुलसचिव का दायित्व निभाने के लिए अधिकृत किया है.

डॉ हंसदा ने संभाली कार्यभार

राजभवन से जारी पत्र के आलोक विवि द्वारा जारी अधिसूचना के तहत डॉ दिव्या रानी हंसदा ने कुलसचिव पद का कार्यभार मंंगलवार को संभाल ली. मौके पर विवि के अधिकारियों सहित कर्मचारियों ने नये दायित्व संभालने की उनको शुभकामना दी. मौके पर डब्लूआइटी निदेशक प्रो. अजय नाथ झा, सहायक कुलसचिव डॉ प्रियंका राय, डिप्टी प्रौक्टर डॉ कामेश्वर पासवान, उप परीक्षा नियंत्रक डॉ मनोज कुमार, पीआइओ डॉ उमाकांत पासवान, खेल पदाधिकारी सह विकास पदाधिकारी अमृत कुमार झा आदि मौजूद थे.

17 अप्रैल से अवकाश पर थे डॉ पंडित

बता दें कि डॉ अजय कुमार पंडित 17 अप्रैल से ही अवकाश पर थे. इन 34 दिनों तक विवि वगैर वित्तीय अधिकार वाले कुलसचिव से ही काम चलाया जा रहा था. इस बीच वित्त से जुड़ी विभिन्न विभागों से आने वाली तथा विभिन्न विभागों को भेजी जाने वाली सैकड़ों संचिकाओं का बंडल बनाकर कुलसचिव कार्यालय में डंप है. बताया जाता है कि लंबित संचिकाओं का करीब दो दर्जन बंडल कुलसचिव के एंटी चैंबर में भी रखा है. वहीं दर्जनों लंबित संचिकाएं कुलसचिव कार्यालय पड़ी है. एक बंडल में अमूमन दो दर्जन से भी अधिक संचिका है. चर्चा यह भी है कि विगत दो वर्षों से विवि का कामकाज विभिन्न कारणों से सुचारू नहीं है. यह स्थिति तभी उत्पन्न हो गई थी, जब तत्कालीन कुलपति प्रो. एसपी सिंह के वित्तीय अधिकार पर राजभवन ने रोक लगा दी थी. कुछ महीने तक वित्तीय परामर्शी तथा उसके बाद कुलसचिव के साथ प्रशासनिक समन्वय की कमी के कारण स्थिति सामान्य नहीं रही.

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