Darbhanga News: दरभंगा. काला मोतियाबिंद (ग्लूकोमा) के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए रविवार को डीएमसीएच में ग्लूकोमा सोसाइटी ऑफ इंडिया की ओर से कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसमें ग्लूकोमा की आधुनिक चिकित्सा पद्धति पर चर्चा की गयी. इससे जूनियर चिकित्सक लाभान्वित हुए. कार्यक्रम में भाग लेने दूर-दूर से आये नेत्र रोग विशेषज्ञों ने लोक हित में आयोजन को सराहा. वक्ताओं ने कहा कि ग्लूकोमा बीमारी आंखों की ऑप्टिक नर्व को नुकसान पहुंचाती है. समय पर इलाज न होने पर स्थायी अंधापन का कारण बन सकती है. चिकित्सकों ने बताया कि लोगों को काला मोतियाबिंद के लक्षण, कारण उपचार के बारे में शिक्षित करना जरूरी है. इसके पूर्व ऑडिटोरियम में कार्यक्रम का उद्घाटन डीएमसी प्राचार्य डॉ अलका झा, नेत्र रोग विभागाध्यक्ष डॉ आसिफ शहनवाज व आगंतुक विशेषज्ञ चिकित्सकों ने संयुक्त रूप से किया.
दिखाई नहीं पड़ते ग्लूकोमा के प्रारंभिक लक्षण
नियमित नेत्र जांच की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कोलकाता से आये डॉ देवाशीष चक्रवर्ती ने कहा कि ग्लूकोमा के प्रारंभिक चरणों में लक्षण अक्सर नजर नहीं आते. इस कारण इसका रेगुलर चेकअप जरूरी है. कहा कि समय पर बीमारी की जानकारी मिलने पर आइ ड्रॉप्स और सर्जरी जैसे उपचार किये जाते हैं. वहीं नेत्र रोग विभागाध्यक्ष डॉ आशिफ शहनवाज ने कहा कि आंखों की बीमारी से बचाव के लिये पौष्टिक आहार और स्वस्थ जीवन शैली आवश्यक है. 40 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में ग्लूकोमा का जोखिम बढ़ जाता है, विशेष रूप से 60 वर्ष से अधिक उम्र वालों को और अधिक सचेत रहना चाहिये. डॉ अनिल ने कहा कि यदि परिवार में किसी को ग्लूकोमा है, खासकर माता-पिता या भाई-बहन, तो जोखिम अधिक होता है. वहीं अन्य वक्ताओं ने बताया कि मोतियाबिंद का समय पर निदान और उपचार महत्वपूर्ण है, यह दृष्टि हानि का दूसरा सबसे बड़ा कारण है. कार्यक्रम के दौरान, लोगों को नियमित जांच और नेत्र विशेषज्ञ से परामर्श लेने के लिए प्रोत्साहित किया गया.इन लोगों में काला मोतियाबिंद का खतरा अधिक
चिकित्सकों ने कहा कि डायबिटीज के मरीजों में ग्लूकोमा का जोखिम बढ़ जाता है. वहीं उच्च रक्तचाप या निम्न रक्तचाप के मरीजों के आंखों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं. इसके अलावा मायोपिया (निकट दृष्टिदोष) या हाइपरोपिया (दूर दृष्टि दोष) से समस्या उत्पन्न हो सकती है. चिकित्सकों के अनुसार लंबे समय तक स्टेरॉयड का उपयोग भी विशेष रूप से ग्लूकोमा का खतरा बढ़ सकता है. पहले आंखों की चोट, सर्जरी, या अन्य नेत्र रोग (जैसे यूवाइटिस) ग्लूकोमा का जोखिम हो सकता है. वहीं धूम्रपान और खराब आहार भी अप्रत्यक्ष रूप से मोतियाबिंद के कारक हो सकते हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है