Darbnahga News: दरभंगा. लनामिवि के पीजी संगीत एवं नाट्य विभाग की ओर से आयोजित राष्ट्रीय संगीत कार्यशाला में गुरुवार को संगीत शास्त्र और राग परंपरा पर व्याख्यान हुआ. कार्यशाला का आरंभ राग असावरी में बंदिश से हुआ. अतिथियों का स्वागत विभागाध्यक्ष प्रो. लावण्य कीर्ति सिंह ””””””””काव्या”””””””” ने किया. विषय विशेषज्ञ प्रो. नीरा चौधरी ने नट अंग के राग और मंच प्रदर्शन की भूमिका को दर्शाया. नट अंग के रागों के अधीन राग शुद्ध नट और राग नट भैरव को समझाया. दोनों ही रागों में बंदिशों का अभ्यास कराया. प्रो. चौधरी के साथ चंद्रमणि झा ने तबला तथा ऋषभ कुमार झा ने हारमोनियम पर संगति की.
मंच प्रदर्शन में स्व प्रस्तुति के अलावा भी कई बातों का ध्यान रखना चाहिएअरविंद महिला कॉलेज की अवकाश प्राप्त शिक्षिका प्रो. रीना सहाय ने पंडित लोचन कृत राग तरंगिणी में वर्णित रागों का वर्णन की. उन्होंने तत्कालीन और आधुनिक रागों के स्वरूप को दर्शाया. सत्र के अंत में पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय की विभागाध्यक्ष प्रो. रीता दास ने वाद्य वर्गीकरण को समझाते हुए सरोद की बनावट के बारे में बताया. कहा कि मंच प्रदर्शन में स्व प्रस्तुति के अलावा भी कई बातों का ध्यान रखना चाहिए. प्रो. दास के साथ बनारस घराना के तबला वादक सुबोध रंजन प्रसाद ने संगति की.
शारदा सिन्हा पर केंद्रित कार्यशाला आज
शुक्रवार की ””””पद्मविभूषण”””” डॉ शारदा सिन्हा की लोक गायन शैली पर आधारित कार्यशाला होगी. संगीत एवं नाट्य विभाग के पद्म विभूषण डॉ शारदा सिन्हा चेयर का यह प्रथम आयोजन होगा. इसमें शारदा सिन्हा के पुत्र डॉ अंशुमान सिन्हा और पुत्री डॉ वंदना भारद्वाज प्रस्तुति देंगे. डॉ अंशुमान शारदा सिन्हा के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर पावर-प्वाइंट प्रस्तुत करेंगे. डॉ वंदना भारद्वाज शारदा सिन्हा के गीतों की प्रस्तुति देगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है