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Darbhanga News: मेडिकल वेस्टेज का डंपिंग ग्राउंड बना शहर, स्वास्थ्य विभाग मूकदर्शक

Darbhanga News:जिले में मेडिकल वेस्ट की समस्या गंभीर होती जा रही है. शहर मेडिकल वेस्ट का डंपिंग ग्राउंड बन गया है.

Darbhanga News: दरभंगा. जिले में मेडिकल वेस्ट की समस्या गंभीर होती जा रही है. शहर मेडिकल वेस्ट का डंपिंग ग्राउंड बन गया है. प्रमुख चौराहों सहित कई हिस्सों, खासकर दरभंगा मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल परिसर, आसपास के निजी नर्सिंग होम व प्राइवेट अस्पताल के आसपास, मेडिकल वेस्ट जैसे सिरिंज, बैंडेज, दवाओं की शीशियां और जैविक कचरा सड़कों, नालियों, और नदियों में बिखरा पड़ा है. यह न केवल पर्यावरण को प्रदूषित करता है, बल्कि डेंगू, मलेरिया सहित अन्य संक्रामक बीमारियों का भी इससे खतरा बढ़ गया है. स्वास्थ्य विभाग मूकदर्शक बना बैठा है. बताया जाता है कि किसी भी अस्पताल या जांच घर को मेडिकल वेस्ट के निस्तारण के लिए जरूरी प्रबंध करने का निर्देश है, लेकिन ऐसा प्राय: कोई संस्थान नहीं करता. सरेआम इस कचरे को फेंक खतरा बढ़ाता जा रहा है.

समस्या के प्रमुख कारण

डीएमसीएच और निजी अस्पतालों में बायो मेडिकल वेस्ट को अलग करने और निबटाने के लिए रंग-कोडेड डिब्बों का उपयोग सही से नहीं हो पा रहा है. मेडिकल वेस्ट अक्सर सामान्य कचरे के साथ मिल जाता है. इसे लेकर विभाग की ओर से कई बार जानकारी दी जाती है, लेकिन इस पर अमल नहीं हो पा रहा है. विभाग की निगरानी नहीं होने से स्थिति बदतर होती जा रही है.

स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही

स्वास्थ्य विभाग और स्थानीय प्रशासन के द्वारा मेडिकल वेस्ट प्रबंधन नियमों का कड़ाई से पालन नहीं किया जा रहा है. खासकर अस्पतालों के द्वारा कचरा फेंकने की शिकायतें आम रूप में की जाती है. इसके अलावा डीएमसीएच परिसर में फेंके गये मेडिकल वेस्ट नालों और सड़कों पर फैले रहते हैं. इससे जलनिकासी में तो समस्या होती ही है, साथ ही साफ-सफाई के दौरान कर्मी के इससे आक्रांत होने का भी खतरा रहता है. कहा जाता है कि नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग के बीच समन्वय की कमी के कारण मेडिकल वेस्ट का समय पर निबटारा नहीं होता है.

क्या है बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट

बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट नियमों के तहत इसका सख्ती से पालन और नियमित निरीक्षण किया जाना है. वहीं मेडिकल वेस्ट को रंग-कोडेड डिब्बों में अलग-अलग रखना पड़ता है, लेकिन विभागीय लापरवाही के कारण कचड़े का सही से निस्तारण नहीं हो पाता है. इधर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राज्य सरकारें इसे नियंत्रित करने के लिए प्रयासरत हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर अभी भी सुधार की जरूरत है.

कहतीं हैं अधीक्षक

डीएमसीएच परिसर में सही से कचड़ा निस्तारण को लेकर नगर निगम के अधिकारी से बात हुई है. इस पर सही से अमल करने के लिये निर्देश दिये गये हैं.

– डॉ शीला कुमारी, अधीक्षक, डीएमसीएच

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