Darbhanga News: दरभंगा. कोलकाता उच्च न्यायालय के अधिवक्ता चंदन चौधरी ने शहर में स्टॉर्म वाटर ड्रेनेज के निर्माण और इससे होने वाली समस्या को नजदीक से देखा. उन्होंने हराही, दिग्घी, गंगा सागर और मन पोखर का स्थल निरीक्षण किया. शहर के पुराने स्टॉर्म वाटर ड्रेनेज की दयनीय हालत, नये स्टॉर्म वाटर ड्रेनेज के डिजाइन और तरीका, तालाब, झील और वेटलैंड के बफर जोन की जगह हराही, दिग्घी और गंगा सागर के तालाबों के संरचना एवं इसके अतिक्रमण, इन तालाबों के जल प्रदूषण एवं नगर निगम के कचरा प्रबंधन आदि बिन्दुओं पर तथ्य जमा किया. स्थल निरीक्षण के बाद शहर के सिविल सोसाइटी के प्रतिनिधियों के साथ जीएम रोड में बैठक की. लोगों ने बताया कि शहर में 1995-96 से जल संकट शुरू हुआ, लेकिन भूगर्भ जल भंडारण के लिए अभी तक कुछ नहीं किया जा रहा है. अब तो सालों भर शहर में टैंकर से पानी सप्लाई होता है.
सड़कों की ऊंचाई चार फीट तक बढ़ने से जलजमाव की समस्या बढ़ी
सिविल सोसाइटी के लोगों ने कहा कि शहर में सड़क की ऊंचाई पिछले 20-25 वर्षों में लगभग दो से चार फीट कर दी गयी है. इस कारण शहर में जल-जमाव एक गंभीर समस्या के रूप में बढ़ी है. इसके साथ ही मौसम में परिवर्तन, वर्षा जल में कमी, बाढ़, सुखाड़, दूषित पेय जल, नदी प्रबंधन आदि विषयों पर चर्चा की गयी. अधिवक्ता चंदन चौधरी ने जल और पर्यावरण से जुड़े मामलों को लेकर एनजीटी में केस करने में सहयोग देने की बात कही. फिलहाल स्टॉर्म वाटर ड्रेनेज और सड़क ऊंचीकरण को लेकर केस दायर करने का निर्णय लिया गया. बैठक में नारायण जी चौधरी, डॉ अवनिन्द्र कुमार झा, विनय कुमार झा, मो. तसीम नवाब, अविनाश भास्कर, इंदिरा कुमारी, मालती देवी, अभिषेक कुमार झा आदि शामिल थे.
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