विकसित भारत के लक्ष्य प्राप्ति के लिए एकीकृत कृषि प्रणाली की जरूरत : विजय कुमार सिन्हा
सीयूएसबी में उद्यान भवन एवं धन्वन्तरि आरोग्य वाटिका का डिप्टी सीएम ने किया उद्घाटन
फोटो- गया बोधगया 215- कार्यक्रम को संबोधित करते डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा़
फोटो- गया बोधगया 216- कार्यक्रम का उद्घाटन करते डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा, सीयूएसबी के कुलपति व टिकारी के विधायक.
फोटो- गया बोधगया 217- सीयूएसबी परिसर में पौधारोपण करते डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा, कुलपति व अन्य.
वरीय संवाददाता, गया जी.
देश की अर्थव्यवस्था कृषि पर ही निर्भर रही है. वर्तमान में भी देश की आबादी के 74 से 76 प्रतिशत लोग कृषि से जुड़े हुए हैं. कृषि में नवाचार व एकीकृत कृषि प्रणाली से अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के साथ हम विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं. यह बातें उपमुख्यमंत्री सह कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने सीयूएसबी परिसर में गुरुवार को नवनिर्मित उद्यान भवन एवं धन्वन्तरि आरोग्य वाटिका के उद्घाटन समारोह के बाद विवेकानंद सभागार में कृषि संकाय के विद्यार्थियों के लिए आयोजित अविविन्यास कार्यक्रम में कहीं. डिप्टी सीएम ने कहा कि आधुनिक शिक्षा अनुसंधान के संकल्प के साथ इस विश्वविद्यालय की स्थापना हुई है. कृषि भव्य भारत की वास्तविक तस्वीर है, जिसका सामाजिक संकल्प हमने अपने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश के अमृत काल में लिया है. उन्होंने कहा कि विकसित भारत @2047 के लक्ष्य को हासिल करने के लिए हमें विरासत व संस्कृति के आधार को समझना होगा. उन्होंने सभागार में उपस्थित छात्रों को संबोधित करते हुए पूछा कि हमारे देश की संस्कृति का आधार क्या रहा है. श्री सिन्हा ने कहा कि इस प्रश्न के उत्तर के बारे में गहराई से सोचेंगे, तो पायेंगे कि हमारी संस्कृति की नींव एग्रीकल्चर यानि कृषि पर टिकी है. अपने उद्बोधन के दौरान कृषि मंत्री ने फसल से जुड़े खरीफ और रबी शब्द, जो वास्तविक तौर पर अरबी के शब्द हैं. उनका हिंदी अर्थ क्रमशः शारदीय तथा वासंतिक होता है, जिनका इस्तेमाल बिहार सरकार के विभागों की ओर से किया जा रहा है. इस प्रचलन को आगे आमजनों में बढ़ाया जा रहा है. हमारे पर्व, त्योहार, वेश-भूषा, खानपान से लेकर धर्म और ज्ञान की धुरी हमारी संस्कृति पर टिकी है, जो हमारी शक्ति है.लेकिन, हम अन्य संस्कृतियों के प्रभाव में आकर अपनी सांस्कृतिक जड़ों को भूल गये. आज जरूरत इस बात कि है कि हम अपनी सांस्कृतिक विरासत को ढूंढ़कर उन पर पुनः अपनाने की कोशिश करें. इसी से देश का विकास होगा और भारत 2047 में विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल कर विश्वगुरु बन सकता है. उन्होंने कहा कि आज केवल पारंपरिक खेती से किसानों और ग्रामीण युवाओं की आमदनी में संतोषजनक वृद्धि संभव नहीं, इसके लिए एकीकृत कृषि प्रणाली को अपनाने की आवश्यकता है. उस दिशा में यह विश्वविद्यालय सक्रिय भूमिका निभा रहा है. बीएससी एग्रीकल्चर पाठ्यक्रम के अंतर्गत छात्रों को हॉर्टिकल्चर, मशरूम फार्मिंग, मधुमक्खी पालन, गोपालन, धान रोपण आदि के साथ कृषि एवं पशुधन से संबंधित आवश्यक प्रशिक्षण दिया जाता है, जो काफी सराहनीय है. इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री ने कुलपति प्रो केएन सिंह के साथ पौधरोपण किया और गौशाला का भ्रमण कर गायों को चारा भी खिलाया.ऋषि और कृषि देश की प्राथमिकता : कुलपति
अभिविन्यास कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद टिकारी के विधायक डॉ अनिल कुमार ने कहा कि मेरा सौभाग्य है कि केंद्रीय विश्वविद्यालय उनके विधानसभा क्षेत्र में स्थित है. यह इस क्षेत्र के विकास में अग्रणी भूमिका निभा रहा है. विधायक ने बताया कि सीयूएसबी कैंपस में केंद्रीय विद्यालय (सेंट्रल स्कूल) की स्थापना के लिए काफी समय से प्रयास कर रहे हैं. उन्होंने आशा जतायी कि कुलपति प्रो केएन सिंह के सहयोग से इसकी स्थापना जल्द होगी. इससे पहले कार्यक्रम के औपचारिक उद्घाटन के बाद स्वागत भाषण में अपने अध्यक्षीय संबोधन में कुलपति प्रो कामेश्वर नाथ सिंह ने कहा कि ऋषि और कृषि इस देश की प्राथमिकता रही है. कुलपति ने कहा कि सीयूएसबी का ध्येय कैंपस फॉर कम्युनिटी है, जिसका उद्देश्य परिसर के विद्यार्थियों के साथ आसपास के गांवों के साथ समस्त मगध क्षेत्र के किसानों व युवाओं के कौशल को विकसित करना है. सीयूएसबी इस दायित्व को क्षेत्र की आवश्यकता पर आधारित पाठ्यक्रम संचालित करके निभा रहा है. आसपास के गांवों के लोग भी विश्वविद्यालय परिसर में आकर कृषि और पशुधन से संबंधी आवश्यक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं. इस कार्यक्रम का समन्वयन व संचालन कृषि विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ हेमंत कुमार सिंह ने स्कूल ऑफ एग्रीकल्चर एंड डेवलपमेंट के डीन प्रो अवनीश प्रकाश सिंह के मार्गदर्शन में किया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है