अरविंद कुमार, फतेहपुर
नगर पंचायत निवासी संगीता कुमारी ने जिंदगी के कंटीले रास्ते को अपने संघर्ष से मलमल जैसा बना दिया. 2000 में सड़क हादसे में पति नरेंद्र सिंह की मौत हो गयी. उस समय बड़ा बेटा तीन साल व छोटा बेटा एक साल का था. हादसे के बाद संयुक्त परिवार में रहने के बाद भी जिंदगी चल रही थी, पर उन्होंने अपनी जिंदगी में खुद के पैरों पर खड़े होने की सोंची. मैट्रिक पास संगीता ने आगे पढ़ाई के लिए ठानी. ससुर एवं पति के भाइयों का सहयोग मिला. संगीता ने पहले इंटर किया उसके बाद पटना से बीइएमएस किया. उसके बाद अपने देवर डॉ राघवेंद्र कुमार उर्फ राकेश कुमार के सहयोगी के तौर पर काम करना शुरू किया. वहीं अपने दोनों बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए लगातार प्रयास करते रहीं. जिसका फल 2025 में मिला. उनके छोटे बेटे दिवाकर आनंद ने नीट परीक्षा में सफलता लाकर मां के सपनों को साकार करने की तरफ एक कदम बढ़ा दिया है. वहीं बड़ा बेटा प्रभाकर आनंद भी उच्च शिक्षा की तैयारी कर रहा है. संगीता आज भी संयुक्त परिवार में ही रहती हैं. उन्होंने ने कहा कि ससुराल वालों ने कभी भी उनके किसी भी फैसले का विरोध नहीं किया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है