मानपुर. गया-किऊल रेलखंड पर मानपुर के पैमार नदी पर बूढ़ी गांव के समीप पांच सितंबर 2016 को पुल निर्माण कंस्ट्रक्शन के बेस कैंप पर लेवी की मांग को लेकर हथियारबंद नक्सलियों ने हमला कर दिया था. उस दौरान वहां के कर्मचारियों के साथ मारपीट भी की और एक जगह बंधक बना कर दर्जनों वाहनों एवं निर्माण कार्य में लगी मशीनों को जला दिया था. नक्सलियों ने दर्जनों राउंड फायरिंग भी की और अपनी जिम्मेदारी लेते हुए दर्जनों पर्चे छोड़े थे. इस मामले में एसटीएफ व स्थानीय मुफ्फसिल थाने की पुलिस ने छापेमारी अभियान चलाया और बोधगया से विक्रम यादव उर्फ कैलू यादव उर्फ नेता जी को गिरफ्तार कर लिया. विक्रम यादव मूल रूप से वजीरगंज थाना क्षेत्र अंतर्गत लखऊवा गांव का रहनेवाला है. उसकी निशानदेही पर औरंगाबाद जिले के गोह थाना क्षेत्र अंतर्गत पकरी गांव के रहनेवाले लाला मिस्री उर्फ लाल शर्मा को जिले के गुरुआ से मंगलवार की देर रात गिरफ्तार कर लिया गया. औरंगाबाद, नवादा व गया जिले में देते थे नक्सली घटनाओं को अंजाम इस बात की जानकारी देते हुए डीएसपी सह केस के अनुसंधानकर्ता सुनील कुमार पांडेय ने बताया कि दोनों ने पूछताछ में अपना अपराध कबूल किया है और बताया कि पहले हमारा संगठन काफी मजबूत था. लेकिन, अब कमजोर हो गया है. कुछ लोग अपने रोजी-रोजगार के लिए मुख्य धारा से जुड़ गये हैं. इधर डीएसपी ने प्रेस काॅन्फ्रेंस कर जानकारी देते हुए बताया कि विक्रम यादव उर्फ कैलू यादव उर्फ नेता जी गया जिले के अलावा औरंगाबाद और जहानाबाद, नवादा में बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ पर काम करते हुए घटनास्थल की स्थिति की जांच कर घटना को अंजाम देने के बाद उसके परिणाम की जानकारी रखता था. दोनों पहले भी जेल जा चुके हैं, लेकिन जेल में बाहर आने पर अपना पांव जमा लेते थे. वही औरंगाबाद, गया, नवादा में कई जगहों पर उसके आदेशानुसार घटना को अंजाम दिया गया था. प्रद्युमन शर्मा रामजी यादव उर्फ बड़े, विकास का रहा था दाहिना हाथ डीएसपी सुनील कुमार पांडेय ने बताया कि इस कांड संख्या 412/16 में पहले भी प्रद्युमन शर्मा, रामजी यादव उर्फ बड़े ,विकास नामक कुख्यात इनामी नक्सलियों को पहले ही गिरफ्त कर लिया गया है. इसमें कुछ लोगों को रिमांड पर लेकर गहन पूछताछ की गयी थी. इससे कुछ लोगों का नाम सामने आया था. हत्या व फिरौती मामले में विक्रम जा चुका है जेल विक्रम यादव उर्फ नेताजी ने बताया कि वह परिवार के साथ जमीन को लेकर विवाद हुआ था. उसके बाद 2005 में नक्सलियों से अपना रिश्ता बना लिया और हथियार उठा लिया था. हत्या व फिरौती के अलावा सरकारी निर्माण कार्यों में जुटे ठेकेदारों से पैसे की उगाही करने लगा. संगठन में बैठे ऊंचे पद के लोग इसके काम के तरीके से काफी खुश हुए और जिम्मेदारियां बढ़ती गयीं. इस छापेमारी अभियान में थानाध्यक्ष रघुनाथ प्रसाद, अपर थानाध्यक्ष शशि भूषण प्रसाद, एसआई मोहम्मद इमरान,एसआई विद्या शंकर कुमार, रविराज कुमार, अशोक कुमार मौजूद थे.
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