वजीरगंज. हिन्दी-मगही साहित्यिक मंच ने गुरुवार को समकालीन कथाकार व उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद की 145वीं जयंती मनायी. सबसे पहले मंच सदस्यों ने उनके चित्र पर माल्यार्पण व पुष्प अर्पित कर नमन किया. मंच संरक्षक कृष्णचंद्र चौधरी ने कहा कि सामाजिक परिवेश में पहले की जटिल कुरीतियां समाप्त हुई हैं, लेकिन उसके जगह अब नयी कुरीतियों ने ले लिया है. आज भी कलमकारों को संरक्षण की आवश्यकता है, ताकि कलमकार बेधड़क समकालीन लेखन कर सके, तभी समाज को सही दिशा मिल सकेगी. हिंदी साहित्यिक मंच का प्रयास भी है कि नये कलमकारों को प्रोत्साहन व सही दिशा निर्देशन मिल सके. उनका वास्तविक नाम धनपत राय श्रीवास्तव था, जो प्रेमचंद के नाम से जाने जाते हैं, उनकी दर्जनों रचनाएं आज भी समाज को आईना दिखाने का कार्य कर रही हैं. वे उर्दू और हिन्दी दोनों भाषाओं में रचनाएं करते थे, उनकी कई उर्दू की रचनाओं को हिन्दी में परिवर्तित भी किया गया. उन्होंने अपने जीवन काल में स्कूल इंस्पेक्टर पद को भी संभाला और बाद में महात्मा गांधी के आह्वान पर उन्होंने नौकरी छोड़ दी थी. समारोह को आनंद मिलींद, बच्चू शर्मा, मंच अध्यक्ष पंकज कुमार, अमित कुमार एवं अन्य ने संबोधित किया.
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